Book Title: Jain Vrat Vidhi Sangraha
Author(s): Labdhisuri
Publisher: Jain Sangh Madras

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Page 75
________________ 法弟游法术法术流光治术术弟本法米米米米米米 २ अन एटुं मूकवामां आवे तो. ३ सचित्त, काची विगय, लीलोतरी खावामां आवे तो. ४ पञ्चक्खाण पारदुं भूली जवाय तो.. ५ भोजन कर्या पछी चैत्यवंदन रही जाय तो. ६ दहेरासर जq भूली जाय तो.. ७ देव वांदवा भूली जाय तो.. ८ रात्रे सांजनी क्रिया कर्या पछी भने सवारनी क्रिया कर्या पहेला स्थंडिल जाय तो. ९ पोरिसी मणाव्या विना सुइ जाय तो, उघी जाय तो अगर पोरिसी बीलकुल भणावे जनहीं तो. १० मुहपत्ति भूली जाय अने सो डगला जाय तो. ११ मुहपत्ति अगर बीजा उपकरणो खोइ नांखे तो. १२ श्राविकाने ऋतु समये ऋण दिवस .. १३ मांखी, माकड, ज विगेरे त्रस जीवो पोताना हाथे मरी जाय तो. उपर मुजब थाय तो दिवस पडे एटले तप लेख लागे पण पोषध जाय एटले तेटला पौषध पाछळधी करवा पडे ते

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