Book Title: Jain Vrat Vidhi Sangraha
Author(s): Labdhisuri
Publisher: Jain Sangh Madras

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Page 66
________________ श्री जैन व्रत विधि ॥ ३० ॥ **-**X-KHHHHHHHHHH JE Z D Zho de पहेली पांचना पांच उपवासे. पहेली बांधना इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! इरियावहियं पडिक्कमामि ? इच्छं इच्छामि पडिक्कमिउं ॥ १ ॥ इरिया विराहए || २ || गमणागमखे ॥ ३ ॥ पाणक्कमणे बीयक्कमणे हरियक्कमणे, मोसा उसिंग पराग दग महि मक्कडासंताणा संकमणे ॥ ४ ॥ जे मे जीवा विराहिया ॥ ५ ॥ बीजी वांचना साडासात उपवासे. बीजी वांचना. एगिंदिया, बेइंदिया, तेइंदिया, चउरिंदिया, पंचिंदिया ॥ ६ ॥ अभिहया वत्तिया, लेसिया संघाइया संघट्टिया परियाविया किलामिया उदविया ठाणा ओठाणं संकामिया जीवियाश्रो ववरोविया तस्स मिच्छामि दुक्कडं ॥ तस्स उत्तरी करणेणं पायच्छित करणेणं, विसोहीकरणेणं विसल्लिकरणेणं पावाणं कम्माणं निघायट्ठा ठामि काउस्सग्गं ॥ ८ ॥ ***********KKKK - उपधान विधि. ॥ ३० ॥

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