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१८८ / जैनतत्त्वविद्या
२३. कषाय से होने वाले अभिघात के चार प्रकार हैं१. अनन्तानुबंधी चतुष्क से सम्यक्त्व का अभिघात २. अप्रत्याख्यान चतुष्क से देशव्रत का अभिघात ३. प्रत्याख्यान चतुष्क से महाव्रत का अभिघात ४. संज्वलन चतुष्क से यथाख्यात चारित्र का अभिघात २४. नोकषाय के नौ प्रकार हैं
१. हास्य
२. रति ३. अरति
२५. चारित्र के पांच प्रकार हैं
४. भय
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१. सामायिक चारित्र २. छेदोपस्थाप्य चारित्र ३. परिहारविशुद्धि चारित्र
५.
६. जुगुप्सा
शोक
७. स्त्रीवेद
८. पुरुषवेद
९. नपुंसकवेद
४. सूक्ष्मसम्पराय चारित्र यथाख्यात चारित्र
५.
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