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प्रथम वर्ग | १८७
२०. व्यावहारिक मिथ्यात्व के दस प्रकार हैं
१. अधर्म में धर्म संज्ञा ६. जीव में अजीव संज्ञा २. धर्म में अधर्म संज्ञा ७. असाधु में साधु संज्ञा ३. अमार्ग में मार्ग संज्ञा ८. साधु में असाधु संज्ञा ४. मार्ग में अमार्ग संज्ञा ९. अमुक्त में मुक्त संज्ञा
५. अजीव में जीव संज्ञा १०. मुक्त में अमुक्त संज्ञा २१. कषाय के सोलह प्रकार हैं
अनन्तानुबन्धी - क्रोध, मान, माया, लोभ अप्रत्याख्यान - क्रोध, मान, माया, लोभ प्रत्याख्यान - क्रोध, मान, माया, लोभ
संज्वलन - क्रोध, मान, माया, लोभ २२. कषाय के सोलह उदाहरण
अनन्तानुबन्धी क्रोध - पत्थर की रेखा के समान अनन्तानुबन्धी मान - पत्थर के स्तंभ के समान अनन्तानुबन्धी माया- बांस की जड़ के समान अनन्तानुबन्धी लोभ- कृमि-रेशम के रंग के समान अप्रत्याख्यान क्रोध - भूमि की रेखा के समान अप्रत्याख्यान मान - अस्थि के स्तंभ के समान अप्रत्याख्यान माया - मेंढे के सींग के समान अप्रत्याख्यान लोभ - कीचड़ के रंग के समान प्रत्याख्यान क्रोध - बालू की रेखा के समान प्रत्याख्यान मान - काष्ठ के स्तंभ के समान प्रत्याख्यान माया चलते बैल के मूत्र की धारा के समान प्रत्याख्यान लोभ - गाड़ी के खंजन के समान संज्वलन क्रोध - जल की रेखा के समान संज्वलन मान - लता के स्तंभ के सामन संज्वलन माया छिलते हुए बांस की छाल के समान संज्वलन लोभ - हल्दी के रंग के समान
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