Book Title: Jain Tattvavidya
Author(s): Tulsi Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 206
________________ २०४ / जैनतत्त्वविद्या २२. स्याद्वाद के सात प्रकार हैं१. स्यात् अस्ति ५. स्यात् अस्ति-स्यात् अवक्तव्य २. स्यात् नास्ति ६. स्यात् नास्ति-स्यात् अवक्तव्य ३. स्यात् अस्ति-स्यात् नास्ति ७. स्यात् अस्ति-स्यात् नास्ति-स्यात् ४. स्यात् अवक्तव्य अवक्तव्य २३. नास्ति (अभाव) के चार प्रकार हैं१. प्राग् अभाव ३. इतरेतर अभाव २. प्रध्वंस अभाव ४. अत्यन्त अभाव २४. समवाय के पांच प्रकार हैं१. काल ३. कर्म ५. नियति २. स्वभाव ४. पुरुषार्थ २५. कारण के दो प्रकार हैं १. उपादान (परिणामी) २. निमित्त (सहकारी) २६. पर्युपासना के दस लाभ हैं१. श्रवण ६. अनाश्रव २. ज्ञान ७. तप ३. विज्ञान ८. व्यवदान ४. प्रत्याख्यान ९. अक्रिया ५. संयम १०. सिद्धि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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