Book Title: Jain Tattvagyan Mimansa
Author(s): Darbarilal Kothiya
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 8
________________ त्यागमति गणेशप्रसाद वर्णी जैसे लोकप्रिय आचार्यों एव पडितोपर भी चित्ताकर्षक एव सुबोध शैलीमें विमर्श किया है । ये सभी निबन्ध विद्वान् और सामान्य सभी तरहके पाठकोके लिये उपयोगी हैं तथा स्थायी महत्त्वके हैं। ग्रन्थमें कुण्डलगिरि, गजपंथा, अहार क्षेत्र, पपौरा, पायापुर, राजगृह जैसे लोकप्रिय तीर्थोपर विभिन्न दृष्टियोसे प्रकाश डालकर पुरातत्त्व एव इतिहास के क्षेत्रमे विद्वान् लेखकने प्रशसनीय योगदान किया है। इन्हीके साथ श्रुत-पचमी, दशलक्षणपर्व, क्षमापर्व, वीरनिर्वाणपर्व, महावीर-जयन्ती जैसे सास्कृतिक पर्वोपर भी सक्षिप्त एव सून्दर प्रकाश डाला है । इस प्रकार प्रस्तुत कृतिमें एक ओर जहां न्याय एव दर्शनके गढ विषयोके निवन्धोका सकलन है वहां इतिहास, पुरातत्त्व एव साहित्यके वहचचित एव लोकप्रिय विषयोपर लिखे गये निवन्धोको स्थान देकर पुस्तकको सभी तरहके पाठकोके लिये रुचिकर बना दिया है। प्रस्तुत पुस्तक जैनविद्याके विद्यार्थियोंके लिये बहुत उपयोगी सिद्ध होगी और सामान्य पाठक इससे लाभान्वित हो सकेगा। डॉ० कोठिया ने अपने निवन्धोका एक ही स्थानपर सकलन करके हिन्दी जगत् का महान् उपकार किया है, जिसके लिये वे हिन्दी जगत् एव जैन समाजकी हार्दिक बधाईके पात्र हैं। ८६७ अमृत कलश, बरकत कालोनी किसान मार्ग, टोकफाटक, जयपुर (राजस्थान) २२-२-८३ ई० डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल निदेशक, श्री महावीर ग्रन्थ-अकादमी

Loading...

Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 403