Book Title: Jain Tattva Darshan Part 02
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 20
________________ मामले लनामा .. KHE Rथाना (12) विनय - विवेक दर्शन संबंधी आशातना 1. मंदिर में खाना (चॉकलेट, पान, गुटखा आदि), पानी पीना, भोजन करना, जूते-चप्पल आदि पहनना, अशुभ वर्तन करना। सो जाना, थूकना अथवा कफ (बलगम) फेंकना, पेशाब करना, टट्टी करना, जुआ खेलना, किसी भी प्रकार का खेल खेलना, दौड कूद करना इत्यादि क्रियाओं का त्याग करना चाहिए। 2. जिन प्रतिमा के सामने पैर लम्बे करके बैठना अथवा पीठ फेरकर नहीं बैठना चाहिए। 3. मंदिर में हँसी-मजाक, कुचेष्टा, नाक, कान आदि का मैल डालना, - नींद लेना, किसी की निंदा करना, झगडा करना, खराब कहानी कहना, बातचीत इत्यादि नहीं करना चाहिए। 4. मर्यादाहीन, उद्भट वेश-कपडे पहनकर मंदिर नहीं जाना चाहिए। (ऐसा करने से अन्यों के मन में गंदे भाव पैदा होते है-उसके निमित्त बनने का दोष अपने को लगता है।) 5. खाने पीने की वस्तु लेकर अथवा खाते-खाते मंदिर में नहीं जाना चाहिए। साथिए पर चढाई हुई वस्तु नहीं खानी चाहिए। (13) सम्यग् ज्ञान A. आठ कर्म के नाम एवं भेद कर्म के नाम 1. ज्ञानावरणीय 2. दर्शनावरणीय 3. वेदनीय 4. मोहनीय आयुष्य नाम गोत्र अंतराय ज्ञालावगीय कर्म गोत्रका पटनायक A 6. नामकमी

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