Book Title: Jain Siddhant Pravesh Ratnamala 02 Author(s): Digambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun Publisher: Digambar Jain Mumukshu Mandal View full book textPage 6
________________ भाग २ प्रारम्भ से पहले अशुद्धियों को शुद्ध कीजिये पृष्ठ संख्या पंक्ति २२ १६ २५ १ २६ २५ १५ ८ mm ३३ ३६ ३८ -६५ ७६ ६२ ६३ ६४ १०० १०३ ११० xx १७ ३ w १६ ७ ५ ८ १५ w १२ अशुद्धि मर्ग त्रिकालो जा और शान्ति मने व्यकर्म क्षक्षिण जॉर ठाक त्रिकाला नश्वर उपपदान उहादान कारण उपादानकार शुद्ध मार्ग त्रिकाली जो ओर शन्ति माने द्रव्यकर्म क्षणिक और ठीक त्रिकाती नम्बर उपादान उपादान कारण उपादान कारणPage Navigation
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