Book Title: Jain Siddhant Kaumudi Author(s): Sushilsuri Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti View full book textPage 6
________________ समर्पण आस्था के आयाम गुणों के निधान कवित्व के अजस्रोत ज्ञान गुण ओत-प्रोत CONTRIEO succelestiane परमोपकारी-भवोदधितारक-परमकृपालु मेरी जीवन नैया के सुकानी परम पूज्य गुरुदेव आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वर जी म. सा. के कर-कमलों में सविनय सादर समर्पित. -विजय जिनोत्तम सूरि. (कृपा छत्र मुझ पर सदा, रखना दीन दयाल।) यही जिनोत्तम भावना, रखना पूर्ण कृपाल ॥ * तीन ।Page Navigation
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