Book Title: Jain Siddhant Kaumudi
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti

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Page 10
________________ जय अष्टापद धन्य तीर्थ ॐ हीं नमो तित्थस्स राजस्थान शणगार भारत भूषण गोडवाड गौरव संपूर्ण भारतवर्ष में अपने ढंग का प्रथम प्रयास श्री अष्टापद जैन तीर्थ सुशील विहार, वरकाणा रोड, रानी ३०६११५ - जि. पाली (राज.) ०२६३४ २२२७१५ फैक्स नं. २२३४५४ शुभ प्रेरणा प.पू. आचार्यदेव श्रीमद् विजय सूशील सूरीश्वरजी म.सा. - प.पू. आचार्यदेव श्रीमद् विजय जिनोत्तम सूरीश्वर म.सा. सेवा-पूजा-भक्ति का अनुपम धर्म-स्थल सुविधायें- भोजन एवं भाताशाला, आधुनिक यात्री निवास, यातायात साधन। दर्शनार्थ पधार कर आत्म-शान्ति प्राप्त करें। सर्वजनहिताय-सर्वजनसुखाय की सत्प्रेरणा से प्रकाशित हिन्दी पत्रिका आजीवन सदस्यता शुल्क रु.७११/- मात्र अवश्य सुशील-सन्देश दिया कि ? मानद सम्पादक श्री नैनमल विनयचंद्रजी सुराणा, सिरोही • क्या आप अपने जीवन को सुसंस्कारों से सुवासित करना चाहते हैं ? • क्या आप जैनधर्म के रहस्य, जैन इतिहास-तत्त्वज्ञान- जैन आचार-प्रेरणादायी कथाएँ पढ़कर जीवन को धर्म की सौरभ से सुवासित करना चाहते हैं? • हाँ ! तो आज ही सुशील-सन्देश के आजीवन सदस्य बनें। अनेकविध विशेषताओं से परिपूर्ण, जीवन में सदाचार- पवित्रता का सन्देश प्रवाहित करने वाला, गत 16 वर्षो से नियमित प्रकाशित सुशील-सन्देश के सदस्य अवश्य बनें। सम्पर्क सूत्र ॥ सुशील सन्देश प्रकाशन मन्दिर जी/4/6, रानी सती नगर, पहला माला, एस.बी. रोड मलाड (पश्चिम), मु. मुम्बई- 400 064 @ । सात ।

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