Book Title: Jain Siddhant Kaumudi
Author(s): Ratnachandraswami
Publisher: Bhairavdan Sethia
View full book text
________________
सटिशाग्रन्थमाला
(२५८)
धातुपाठ
१५ गस भक्षणे
| १२० चय पतनचयनयोः १६ गा गान
१२१ चर गतौ १७ गिज्झ आमतौ १२२ चिगिच्छ चिकित्सायाम् १८ गिल अदने
१२३ चिण चयने Bह गिला ग्लानौ
१२४ चिल्ल दीप्तौ १०० गीर निगरणे १२५ चुंब चुम्बन १०१ गुंज अव्यक्ते शब्दे १२६ चुक भंशने १०२ गुंड रजःसंसर्ग १२७ चुण्ण दलने १०३ गुर उद्यमने
१२८ चे? चेष्टायाम् १०४ गुव व्याकुलत्वे १२९ चव मरणे १०५ गुह संवरणे १३० चुय पतने १०६ गृह आलिङ्गन १३१ च्छंड त्यागे १०७ ग्घा गन्धोपादाने १३२ च्छंद निमन्त्रणे १०८ घत्त वेषणे प्रयत्न च । १३३ चछज्ज टीप्तौ १०६ घस संवर्षे
१३४ च्छड वितुषीकरणे ११० घस अदने
१३५ च्छण हिंसायाम् १११ घस संघर्ष
१३६ च्छिक्क छिक्कायाम् ११२ घुट पाने
१३७ च्छिव स्पर्श ११३ घुम्म भ्रमणे १३८ च्छुभ प्रक्षेपणे ११४ घुस शब्डे
१३९ च्छुह प्रक्षेपे ११५ घूगा भ्रमणे
१४० च्छुह स्पर्श ११६ घोल संघर्षे १४१ च्छोल छेदने. ११७ चच्च विलेपने
१४२ जग्ग निद्राक्षये. ११८ नम पार्टीको १४३ जत प्रयत्ने. ११९ चमर मर्दन
१४४ जय जये.
Aho ! Shrutgyanam

Page Navigation
1 ... 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328