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जैन सिदान्त दीपिका
इनमें से जीव और पुद्गल के छ:-छ: गुण और मेष सब द्रव्यों के तीन-तीन गुण होते है।
म्पर्श आठ हैं--कर्कश (कठोर), मृदु (कोमल), गुरु (भागे). लघु (हल्का), शीत, उष्ण, स्निग्ध (चिकना) कक्ष (हवा)। ___रस पांच हैं.--तिक्त (नीग्वा! जमे . सोंठ, कट (कडुआ) जमे- नीम, कपाय (कला) जगे - हरड़, आम्ल (म्बट्टा) जैमे-इमली. मधुर (मोठा) जैसे-- चीनी।
गन्ध दो है. - मुगन्ध और दुर्गन्ध । वर्ण पांच है. .. काला, नीला, लाल, पीला और धोला।
४०. पूर्व आकार के परित्याग और उनर आकार की उपलब्धि को पर्याय कहते है।
पर्याय द्रव्य और गृण न दोनों के आश्रित रहता है' इम आगम वाक्य के अनुमार द्रव्य और गुण के पूर्व-गृवं आकार का विनाश और उत्तर-उनर आकार का उत्पाद होता है, उमे पर्याय कहते हैं।
जीव का मनुष्य, देव आदि रूपों में परिवर्तित होना, पुद्गलों का भिन्न-भिन्न म्बन्धों में परिणमन होना, धर्मास्तिकाय आदि के माथ जीव-पुद्गलों का मंयोग या विभाग होना, ये द्रव्य के पर्याय है।
जान और दर्शन का परिवर्तन होना, वर्ण आदि में नवीनता एवं पुरातनता का होना, ये गुण के पर्याय हैं।
पूर्व आकार (पूर्ववर्ती अवस्थाएं) और उनर आकार (उत्तरवर्ती अवस्था.) अनन्न हैं, इसलिए पर्याय भी अनन्त है।