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द्वितीय प्रकाश
१. जीव, अजीव, पुण्य, पाप, बाघव, सम्बर, निबंरा, बन्ध बीर मोक्ष-ये नी तत्त्व है।
पारमार्थिक वस्तु को तत कहते हैं।
२. जिसमें उपयोग होता है, उसे जीव कहते हैं ।
३. चेतना के व्यापार को उपयोग कहते हैं।
चेतना के दो भेद हैं-भान बौर दर्शन । उसकी प्रवृत्ति को उपयोग कहते हैं।
४. उपयोग दो प्रकार का होता है साकार और अनाकार ।
५. ज्ञान विशेष धर्मों को जानता है अतः उसे साकार उपयोग कहते है।
वस्तु सामान्य-विशेषात्मक होती है। मान उसके सामान्य (सदृण) धर्मो को गौणकर विष (विसदन) धर्मों को ग्रहण