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चैन सिद्धान्त दीपिका
कोई मिथ्यात्व का समूलनाश कर क्षायिक सम्यक्त्व को भी प्राप्त कर लेता है।
६. सम्यक्त्व के पांच लक्षण होते हैं-शम, संवेग, निर्वेद, अनुकम्पा और आस्तिक्य।
शम-शान्ति । संवेग-मुमुक्षा। निर्वेद-अनासक्ति । अनुकम्पा-करुणा। आस्तिक्य-सत्यनिष्ठा।
१०. सम्यक्त्व के पांच अतिचार हैं-शंका, कांक्षा, विचिकित्सा, परपाषण्डप्रशंसा और परपाषण्डपरिचय ।
शंका-लक्ष के प्रति संदेह । कांक्षा–लक्ष्य के विपरीत दृष्टिकोण के प्रति अनुरक्ति । विचिकित्सा-लक्ष्यपूति के साधनों के प्रति मंगयशीलता। परपाषण्डप्रशंसा-लक्ष्य के प्रतिकूल चलनेवालों की
प्रशंसा। परपापण्डसंस्तव-लक्ष्य के प्रतिकूल चलनेवालों का
परिचय ।
११. सम्यक्त्व के आठ आचार हैं :
१. नि:शंकित २. निष्कांक्षित ३. निविचिकित्सित
४. अमूढ़ दृष्टि ५. उपबृहण ६. स्थिरीकरण