Book Title: Jain Siddhant Dipika
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 220
________________ पारिभाषिक शब्दकोश अचित्त-महास्कन्ध-केवली समुद्घात के पांचवें समय में आत्मा से छूटे हुए जो पुद्गल समूचे लोक में व्याप्त होते हैं, उनको अचित्त महास्कन्ध कहते हैं। अजीव-शब्द-पौद्गलिक संघात या भेद से होने वाला शब्द । अज्ञान-शान का अभाव या मिथ्यादृष्टि का ज्ञान अनन्त-जिसका अन्त न हो। अनन्तानुबन्धी-जिसके उदयकाल में सम्यग्दर्शन न हो सके, वह मोह कर्म। अनन्तानुबन्धी-चतुष्क-अनन्तानुबन्धी क्रोध, मान, माया और लोभ। अनवस्था-अप्रामाणिक नये-नये धर्मों की ऐसी कल्पनाएं करना जिनका कहीं अन्त न आए। जैसे-जीव की गति के लिए गतिमान वायु की, उसकी गति के लिए किसी दूसरे गतिमान् पदार्य की, उसके लिए फिर तीसरे गतिमान पदार्थ की कल्पना करना । इस प्रकार चलते चलें, आखिर हाथ कुछ न लगे-निर्णय कुछ भी न हो, वह बनवस्था है। अनाकार-आकार का अर्थ है विशेष । जिसमें आकार न होविशेष या भेद न हो, वह अनाकार (अनाकार-उपयोग अर्थात् निर्विकल्प बोध, सामान्यबोध-दर्शन) होता है।

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