Book Title: Jain_Satyaprakash 1953 01 02
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

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Page 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir શ્રી. જેન સત્ય પ્રકાશ [१ :१८ इय निरखइ ए नयणिहि कुंड मणि अच्छेरउ ऊपजइ ए। जहि वहए नीर पयड अग्गि विणु उन्ह उ नीपजए । गढ़मढ ए मंदिरसार वाड़िय वन रलिआमणा ए। नीपना ए जत्थ अप्पार समवसरण जिनवरतणा ए ॥ १९॥ इय धन्ना ए सालिहभद्द जहि ठाणहि काउसग्ग रह्या ए। भेटइ ए जे तहि वीर ते नहु भवपरिभव सहए ए॥ रसतणं ए कूप रसाल हथिशाला सेणियतणिय । पेखविए वीर पोसल पूप्रिय मण इच्छा घणिय ॥२०॥ धात पणय जणमण पयण जणमण सयज्ञ संकप्प संपायण वरकप्पतरु तिसलदेविनंदणु वियक्खणु । उवसम्मिय भवरत्न भवताव अज ललियंग लक्षण जइ मइ सामिय पावपुरि अविय तुह पयछाह । तउ मइ लद्धउ सुद्धयर शिवफल मण उच्छाह ॥ २१ ॥ भास सिद्धगुणराय सिद्धत्थ कुलमंडणं रुद्ददालिद्द दोहग्ग दुहखंडणं । बंभणकुंडपुरि थुणउ जणरंजणं, खितियाकुंडगामंमि वीरं जिणं ॥ २२ ॥ सुविहिजिण गुणगहण करिय काइंदियापुरिहि मइ अज शिवरजसिरि अज्जिया। नरय तिरियाय चउगयगइ वज्जिया धन्न ते जेहि जिणपाय तुह वंदिया ॥ २३ ॥ वन्दिमो सुब्वया वासपुजं जिणं, चंपपुरि रायवसुपुज्ज वरनंदणं । भावरिउतावभर चंदणं सीयलं, थुणउ भदिलपुरि तित्थयर सीयलं ॥ २४ ॥ सींहपुरि सामि सेयंस मुहपंकयं, पिक्खिऊणं मए सुकयमंगीकयं । भन्न किरि अमियरस देहि मह वुट्टओ, अज्ज संजाउ संसारु उब्विट्ठए ।। २५ ॥ भास सिरिसम्मेयगिरीश वीसजिण सिवगय ठाणु । तहि वंदिय ते भत्तिसत्ति पामउं निरवाणउ ॥ चंदण अगर कपुरि रचउं जिणअंगि ऊगटि । केतकि चंपक जय कुसुमि अरचउं मण उल्लटि ॥ २६ ॥ For Private And Personal Use Only

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