Book Title: Jain Satyaprakash 1937 06 SrNo 23
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
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स्नमिनाथ चरित्र ( प्राकृत )
*नमिनाथ चरित्र (संस्कृत )
લુપ્તપ્રાય: જૈનગ્રંથાં કી સૂચિ
पंचाख्यान ( प्राकृत ) * पूज्याष्टक कथा ( संस्कृत )
लीलावती कथा
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महावीरस्वामी चरित्र ( प्राकृत ) नेमिचंद्र (सं. ११३९) १८१०
* महावीरस्वामी चरित्र ( संस्कृत )
कुसमसार कथा नेमिचंद्र ( सं. १०९९) १७००
* जयसुन्दरी कथा ( प्राकृत ) नर्मदा सुन्दरी कथा
वीरस्तव
वीरस्तववृत्ति
१७००
३१८
चतुर्विंशति जिनस्तव
मल्लधारी देवप्रभ
चतुर्विंशति जिनस्तुति वृत्ति दि० प्रभाचंद्र १५४१ जनेन येनस्तुतिवृत्ति ३०५ भयहस्तोत्रमवृत्ति
कौमारसार समुच्चय
धनपाल
सूराचार्य
मलयगिरि
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रामचंद्र गाथा ५३०००
२४५
२४५
२५१
२५२
२५४
२५५
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२६१
२६६
, २६७
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१४३८
सर्वाङ्गसुन्दरी कथा ( प्राकृत ) २६७५ कथाकोष गा. २३९ व वृत्ति जिनेश्वर ( सं. ११०८ ) ६०००,, धर्माख्यानक कोश वृत्ति ( प्राकृत बहु कथामयी ) ( पत्तने )
शत्रुंजय कल्प पालित्रय सूरि अजिन्तशान्तिस्तववृत्ति
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27
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" २७१
,” २७२
,,, २७६
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, २८५
” २९०
” २९१
” २९८
२९८
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,, ३०२
३०२
मुष्टि व्याकरण
हैम व्याकरण मूलसूत्रो ११००
* हैम व्यास
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समास तद्धितसार प्रकरण हैम कारक समुच्चय श्री प्रसूरि (सं. १२८० ) हैम कारक वृत्ति (अधिकार त्रयात्मक ) श्री प्रभसूरि (सं. १२८० ) ( आद्य द्वयवृत्ति युक्त )
३१००
99
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,,, ३०२
” ३०४
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