Book Title: Jain Satyaprakash 1937 04 SrNo 21
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - ૧૯૯૨. સમીક્ષાભાવિકરણ जे व्रतमा पोताने अथवा अन्यने अतीचार लाग्यो होय, ते व्रतनी बाबतमा मध्यम जिनना तीर्थमां मुनिने प्रतिक्रमण होय छे । ६२७ ।। ऋषभदेव भगवान् तथा महावीर भगवानना तीर्थना मुनिओने, ईर्या, गोचरी तथा स्वप्नादिकथी थता अतीचारो लाग्या हो अथवा न लाग्या हो, परन्तु प्रतिक्रमण वखते दरेक मुनिओ तमाम प्रतिक्रमणना पाठ बोलीने प्रतिक्रमण करे । ६२८ । आ सिवाय पण प्रथम तथा चरम जिनना साधुओने पांच महाव्रत, त्यारे मध्यम जिनना साधुने चार महावत होय छे; प्रथम तथा चरम जिनना साधुओने छेदोपस्थापनीय चारित्र होय त्यारे मध्यम जिनना साधुओने ते होतुं नथी। आ तो निदर्शन मात्र छ । आ सिवाय पण अनेक बाबतमां दिगम्बर दर्शनने पण भिन्नता मानवी पडी छे । आ वात जो दिगम्बर लेखके विचारी होत तो आ आक्षेपभूमिकामां उतरवानी जरूरत पडत नहि । अस्तु । ___ हवे लेखकना लेखथी सूचित बीजी बाबत 'अवस्थाना कारणे पण आहारादिकना आचरणमां भेद न होय ' ते विचारिये - आना जवाबमा जणाववानुं जे अवस्था विशेष न होय तो पण एक वार आहार तो दिगम्बर दर्शन पण मान्य राखे छे । हवे आ एक वार कराता आहारने माटे पूछवामां आवे छे के आ एक वार करातो आहार धर्मनो नाशक छे अथवा तो धर्मनो पोषक छे ? धर्मनो नाशक छे एम तो दिगम्बरो नहि ज कही शके, कारण के एम मानवामां दीक्षाना दिवसथी ज अणशणनी आपत्ति थई जशे, अने तदुपरान्त एक वार पण आहार मुनिओने करवो न कल्पे आवु शास्त्रीय निषेध वाक्य बतावq पडशे, अने ते मळी शके तेम नथी. एटलं ज नहि परन्तु उलटा एक वारनां विधानो मळशे । कदाच एम कहेवामां आवे के एक वार जे आहार ते धर्मनो पोषक छे - तो आ वातमां पण प्रश्न थशे के शाथी ? आना प्रत्युत्तरमा जणावq पडशे के-मुक्तिनुं साधन धर्म छे, धर्मनुं साधन शरीर छे अने शरीरनुं साधन आहार छे; आ रीते परम्परया धर्मनुं साधन होवाथी एक वार करातो आहार धर्मनो पोएक छे। त्यारे सारांश ए आव्यो के शरीर सिवाय धर्म थई शकतो नथी माटे ते शरीरने टकावी राखवा आहार लेवो ते धर्मनो पोषक छ । हवे अवस्था-विशेषमा एक वारना आहारथी शरीरनो टकाव न थतो होय त्यारे बे वार पण आहार करी शरीरने टकावी धर्म साधवो के बे वार आहार नहि करतां शरीरने शिथील करी धर्म साधना जाता करवी ? बुद्धिमानने कहे, पडशे के आवी अवस्था-विशेषमां बे वार आहार करीने पण शरीर टकावी धर्म साधवो। For Private And Personal Use Only

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