Book Title: Jain Ramayana
Author(s): Krushnalal Varma
Publisher: Granthbhandar Mumbai

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Page 14
________________ ( १२ ) पहिले आपने लड़कीको देखा, उसके गुणस्वभावसे परिचय पाया, तब ब्याह किया । इस प्रकारसे ब्याह करनेकी इच्छाहीसे आपने बड़े बड़े लखपति घरों पर सम्बंध न करके एक साधारण गृहस्थके घर संबंध किया था । इस तरहसे ब्याह करनेके कारण आपकी, गृहिणीके साथ बहुत अच्छी पटती है । प्रायः घरोंमें जो झगड़े देखे जाते हैं, वे आपके घरमें कभी नहीं होते । बड़े आनंद और प्रेमके साथ आपके दिन बीतते हैं। मारवाड़ी समाज में इस तरहसे ब्याह करना बहुत ही साहसका काम है । मगर आपने वह साहस किया और वर्तमान पीढीके युवकोंके सामने एक उत्तम उदाहरण रक्खा | आपके अबतक चार सन्तानें हुईं। दो पहिली स्त्री से और दो वर्त - मानसे । पहिली के दोनों लड़कियाँ थीं और वर्तमानके दोनों पुत्र | दैववशात तीन संतानें मरगई । वर्तमानमें एक बरसकी आयुका एक लड़का है। आप प्रायः सब पेशेवाले लोगोंको आश्रय और उत्तेजना देते हैं। आपके यहाँ इस समय एक पहलवान और एक गवैया है । पहलवान सर्कस के काम भी अच्छे किया करता है । सर्कसके कार्यके लिए आपने और भी दो तीन मनुष्य रख रक्खे हैं । दो घोड़े भी आपने इसी के लिए खरीदे हैं और वे अच्छे तैयार किये गये हैं । संवत १९७० में आप अमरावतीसे एक गानेवालेको भी लाये थे । तबसे वह आपहीके पास है. पहलवान भी लगभग दस बरससे आपके यहाँ रह रहा है । आपके पहिले पुत्रका देहान्त हो गया, तबसे आपने खेलतमाशे - जैसे सर्कस, कुश्ती आदि - कराना बहुत कम कर दिया । कम क्यों, बिल्कुल ही बंद कर दिया, कहें तो अत्युक्ति नहीं होगी ।

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