Book Title: Jain Nyaya Panchashati
Author(s): Vishwanath Mishra, Rajendramuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 5
________________ सदभावना ज्ञान में गहराई, ऊंचाई तथा प्रौढ़ता के साथ व्यवहार में बालसुलभ सरलता, विनम्रता एवं सादगी की अपूर्व मिशाल हैं पण्डित विश्वनाथमिश्र। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित श्री मिश्रजी जैनन्याय के अधिकृत प्रवक्ता हैं। जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय को आपकी गरिमामय सेवाएं दीर्घकाल से उपलब्ध हैं। अतीन्द्रिय मेधा के धनी आचार्यश्री महाप्रज्ञ की अनुपम कृति 'जैनन्यायपञ्चाशती' पर न्यायप्रकाशिका नामक संस्कृत व्याख्या और उसका हिन्दी रूपान्तरण कर उसे प्रकाशन हेतु प्रस्तुत करने का श्रेय श्री मिश्रजी को है। इसमें विषय का स्पष्टीकरण बहुत सुन्दर ढंग से किया गया है। विभिन्न दर्शनों की सम्बद्ध बातें सप्रमाण इसमें दी गई हैं। इस प्रकाशन कार्य से जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय अपने आपको गौरवान्वित अनुभव कर रहा है। विषय के वैविध्य एवं उसके विशदीकरण के आधार पर यह कहा जा सकता है कि यह पुस्तक जैन न्याय में प्रवेश करने वालों के लिए सरल सोपान है। जिज्ञासु व्यक्ति इससे निश्चितरूप से लाभान्वित हो सकेंगे, इस सद्भावना के साथ... समणी चारित्रप्रज्ञा कुलपति जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय, लाडनूं Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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