Book Title: Jain Lekh Sangraha Part 3
Author(s): Puranchand Nahar
Publisher: Puranchand Nahar

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Page 148
________________ .FAaihindi hindition जैसलमेर-श्री शांतिनाथ मंदिर प्रशस्ति (नं० २१५४ ) ॥६० इति श्रीपाश्र्वनावस्यजिनेश्वरस्याप्रसाट्त सँउसमीहितानाशीनिस म्यार प्रसादादियानिन श्यउ गनेशीतिःसंवत्या श्वार्षमागसिरसुदि २९दिनेत्रीनेसलमेरुम्हाऽर्थेराउलश्रीवादिगदेवपहराउलश्रीदेवकर्स। पटमदाराजाधिराजराउलश्रीजयतसिंहदिजदिराज्येऊमर पोलगाणयुव । राज्य पीज केशवशश्री सरखवालगोरस याबापत्र सपकाचाहया (नगइकोरटई नगरि मना संरखवालीजामा उतंगतोरगाजनपासादकरागाआवजीराउलइनासक्ष संयावाकाया निश्वापर उदारगुएराश्यापणधरनउसवाललोकनादेईकोरटकम् नागनाला संकावरपवसंमलाताव संपरउलासम्हा रासाउला तार्यासं०माणिकदे पुरसं० श्रापमहासन्देपगलासं आपमहातार्याकमलादेसस०पासनामासंगजेता संवद्या जार्यापनादेस त्रसं० यासराज सं०मधराजधिकास्पा स०आसराजश्वीजयमहाताव श्रीसंघसहितया करीआपणवित सफलदीवा सासराजनार्याचोस पांचापागला जि॥ श्री शउँजय गिरनारवाड़तीर्थयात्राकीधाधीशजयादितीवितारमाटीकरावीासतौर रामपरिकरश्रीनेमिनाथना विदरावीश्रीस्तवनावनददरमदायासमतपल्याणकादि कनपनापाटीसलमयकरावी सासराजनार्या संश्य लामापातासंपता संपराउनयागर नारतात्रिीसंघसहितयात्रा की इमवरसताध्यानाकरतासं०५२७ तेरगायात्राकरीश्रीशज यकपरित परीपालनाची श्रादिनामवतीये करनी पूजाकरताउदपकरीबिलापनवकारगुती वाद। वसंधतीनकिकरा रहतावित सफल जीवातली वोपडा संपाचापत्र (सिवराजसमा राजसंबनालास। घवीलाबाविकामगेली। संलापुत्रसँसिएरासिमरा सन्मालास०महासंसहणा सं० ॐ परवपरिवारसहितको संला सवाल- ITS संम्वेता दिगिली श्रीजेसलमेरुनगरिग कप(रविवामप्र मायरम हातावासादकराया सं०१५३६वर्ष कारादिवदिने राउतमीदवकारी राज्य सम्सदेसना संघमेलीजिन मरिश्रीनिनसमरसरिकन लपतिया कराना पाऊ मारवाशानिनाम मूलना। यक्सपायावीसतावकरलीमने कपातमा तरावीवित इ सनसमार पाउमाहरूमानालासहितसम कतलास लाशासनाने प्रायरेश्रीकल्यासही तनापोधा लिदाया। प्रीजिनसम्हारिकाश्रीशतिसागरसूरित्राचायनीय इसापना करावी मीरापरताविरजकारजगतिकरावाविबमामाच्या संपताना चमिसरसतिपक्ष संवीतासानोमा पत्रिका 134560 नोमानायांसनायक संपूनासम्वादासायी संयमराक्षसावमला रेसं०विमलादे पुत्र सं०महसमन्न सं०कर संवरात्रिकाहरष सलाहससिसमासमल्ल ला सं० । कैरी तोलासंगमवीमाहामकरण कनकादेत्रबादापत्रिकालालासावरणमायोगिता विकावापिदिपरिवारसहिता सं0बाद श्री राजयगिरनाराबतीय कासासम कितना दकरताउ साकरनीलादिपिकावीश्रीनिजईस(रगळ नायकवषयावमझौलव करावयरत वाहीपीवामिनी जमणाकीपांव सोनत्याप्रमुख प्रतेकवर ऊ जमरा र महाकल्पसिद्धांतपसकवण वारवायापावदारलाषनवकारशुलीचारमा जोइ मल्लानालाहि (लकामा संसहसमजत्रा जयतीश्यानाकरीतनादिरापुरवारमगामपाटलपारकरिबीमवल्लीलाहकरीघरमाणा परावाद६धरतश्द सरसरश्तलादा पदमासादविजसूमिका कारजगातनाबारण नाटकी करानी1933 साए जाला१४सहणारेहराजपार कायरामशककरायाकाजसमाया श्रीपानापनाविकराव्यानिजहाविर सं०षेत संसरसतिनामूलकरावी यावर्षमागासरवा रविवारमहाराजाधिराजराजला जयसिंह तथा 3) मरनील कृतवचनातत्रावामनाना परविवा-इस०बादसावी ऊतनावउवाया। बारगापरसाणकराया विश्ववता बालिकरावा कोहरश्ककारागागाइसहसाजारात पन्नगलतघणीवारषदरसलवादाणा कनादीयाजसलमेरूगटनीतिणदिसावाददायादहरानासरानघाघराबेऊ नय सदरलन पादसहसवाचकरा या उपकरावादसमजतारसाहतलपमानार याना JANU01410॥ जनादशादतारावताररहित स्वाश्री TISS निस्यासमियायपरीक्षा 2॥११ सयपारिवाजानाधकरच तासलाक ससाया तो जिनोदामामता प्रयाटमा पा 2hf.भ.गमा सहसमान सं० २०६२ करा विस्पा प्रत्येषाप्रशनःश्रीवरतरगोश्रीन सिरहाकार श्री सरवनायरा श्रीवतिलकोपाध्यायन लिरिकता दलना 3 बार सुन पासधारापत्ता किनगुदकारवाला कोरात्रातवा SHRI SHANTINATH TEMPLE PRASHASTI-JAISALMER. "Aho Shrut Gyanam"

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