Book Title: Jain Lekh Sangraha Part 3
Author(s): Puranchand Nahar
Publisher: Puranchand Nahar

View full book text
Previous | Next

Page 335
________________ [ए] पापुका पर। {2587] ॥ श्रीगोड़ी पार्श्वनाथ पाषुका कारितं ब्रह्मसर संघेन श्री जं । यु । न । महेन्ऽसूरिनिः प्रतिष्ठितं रणए६ मि० फागुण सुदि । [2588] * ॥ सं० १६ वर्षे मिती फागुण सुदि ४ तिथौ शनिवारे श्रीमवृहत्खरतरगच्छे ब्रह्मसर ना समस्त श्रीसंघेन श्री जं । यु । ज। मणियाला जिनचन्दसूरिजी गुरो पाका का रितः श्री जं । यु । जय । श्रीजिनमहेन्प्रसूरिजिः प्रतिष्टितं ॥ [2580] ॥ श्रीजिनदत्तसूरि पाउका ॥ X * यह लेख माला में स्थित गुरु चरण पर है। "Aho Shrut Gyanam"

Loading...

Page Navigation
1 ... 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374