Book Title: Jain Lekh Sangraha Part 3
Author(s): Puranchand Nahar
Publisher: Puranchand Nahar
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[१ ] दादाजी के स्तूप पर।
[2580 ] * (१) ॥ श्रीसद्गुरुन्योनमः ॥ संवत् १७७४ वर्षे (२) शाके १७३ए प्रवर्तमाने मासोत्तममासे (३) मार्गशिरमासे शुक्लपके दशमी तिथौ यु (४) रुवासरे। श्रीदेवीकोट नगरे श्रीबृहत्व (५) रतरगढीय समस्त श्रीसंघेण दादाजी (६) श्रीश्रीजिनकुशतसूरिजी स्तूपशाला (७) कारापिता ॥ जं । यु । च । श्रीजिनहर्षसूरिजी (G) ""या । जैसारजोगणि । पं । प्र! अमरसिं (ए) .."पं । रिधविलास उपदेशात् (१०) ॥ श्रीरस्तु ॥
* यह लेख ग्राम के बाहर पच्छिम तरफ सरकारी कोट के पास दादाजी के स्थान का है।
"Aho Shrut Gyanam"

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