________________
४३९
श्रीयुक्त तात्या नेमिनाथ पांगलकी मराठी पुस्तक का गुजराती अनुवाद है । इसका ऐतिहासिक भाग कथाग्रंथोंके आधारसे लिखा गया है जो बहुत कुछ भ्रमपूर्ण है । उसकी सत्यता सिद्ध करनेके लिये कोई विशेष प्रयत्न नहीं किया गया है । साधारण कथाप्रेमियोंको यह अवश्य रुचिकर होगी। तीनों पुस्तकोंकी छपाई अच्छी है। जुदा खरीदनेवालों के लिए क्रमसे १०),) और =) मूल्य है। दिगम्बर जैनके द्वारा पुस्तकप्रचार खूब हो रहा है। यदि पुस्तकोंका चुनाव कुछ विचार कर किया जाय, तो और अच्छा हो । नीचे लिखी पुस्तकें भी प्राप्त हो चुकी हैं
१ मांसभक्षण पर विचार-प्रकाशक, भारत जैनमहामण्डल, ललितपुर । २ श्वेताम्बर एज्युकेशन बोर्डनो रिपोर्ट और ३ जैन रासमालाप्रकाशक श्वे. जै० कान्फरेंस बम्बई । ४ श्राविकाश्रम बम्बईकी रिपोर्ट । ५ ऋषभब्रह्मचर्याश्रम हस्तिनापुरकी द्वितीय वर्षकी रिपोर्ट । ६ जैनगीतावली-प्र० जैन औद्योगिक कार्यालय, चन्दाबाडी बम्बई । ७ स्वर्गके रत्न ( चतुर्थ खण्ड ) स्वर्गमाला कार्यालय, बनारस सिटी ।
मीठी मीठी चुटकियाँ।
१ टाइटिल बेच दिया है। लाला ज्योतीप्रसादजी जिस समय 'जैनप्रचारक' के सम्पादक थे, उस समय वे अपने नामके साथ 'ए. जे.' का टाइटिल लगाया करते थे। इस समय वे 'जैनप्रदीप' के सम्पादक हैं और जैनप्रचारकके सम्पादक निरपुडा निवासी मुंशी प्यारेलालजी बना
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org