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राज्य इसके लिए एक कानून बनाया चाहता है। उसके अनुसार १८ वर्षसे नीचेका कोई भी नाबालिग साधु न हो सकेगा। जो बना-- यगा, वह कठिन दण्डका भागी होगा।
जैनियोंके लिए सस्ते मकान-बम्बईशहरमें जैनी भाईयोंकी बहुत बड़ी वस्ती है। उनमें सैकड़े पीछे ५ स्वतन्त्र व्यापार करनेवाले, ३ दलाली करनेवाले, २२ साधारण नौकरी करनेवाले और ७० ऐसी नौकरियाँ करनेवाले हैं जिनमें बड़ी कठिनाईसे खाने पीनेकी गुजर होती है-बेचारे ढावोंमें या वीसियोंमें खाते हैं और जहाँ जगह मिलती है वहाँ सो रहते हैं । यहाँ मकानोंका किराया इतना सख्त है कि अच्छे स्वास्थ्यप्रद हवादार जगह मिलना उनके लिए दुश्वार है-इससे बेचारे बीमार होते हैं और इलाजका इन्तजाम न कर सकनके कारण चल बसते हैं। इन सब कष्टों पर श्वेताम्बर समाजके कुछ सज्जनोंकी दृष्टि गई है। वे प्रयत्न कर रहे हैं कि एक कम्पनी खड़ी करके उसकी ओरसे अच्छी जगहोंमें मकानात बनवाये जावें और उनमें जैनी भाई. योंको सस्ते किराये पर अच्छी हवादार कोठरियाँ दी जावें । इस काममें मुनाफा भी होगा और गरीबोंको बड़ा भारी लाभ होगा। मन्दिरोंकी रकमें इस काममें व्याजके ऊपर लगानेकी भी कोई कोई भाई सलाह दे रहे हैं। हमारे दिगम्बरी भाईयोंको भी इस कार्यमें योग देना चाहिए।
जैनियोंमें पुनर्विवाह-जैनियोंमें एक 'जैसवाल' नामकी जाति है। सुसनेर ( ग्वालियर ) में जैसवाल भाईयोंकी अच्छी बस्ती है। वहाँके चौधरी चैनसिंहजीकी कन्याका विवाह एक युवकके साथ हो चुका था; परन्तु विवाहके दूसरे ही दिन वह युवक मर गया । चौधरीजीसे अपनी लडकीका यह दुःख देखा न गया, इसलिए उन्होंने एकही महीना
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