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आटा अधिक पुष्टिकर है, कलके आटेसे चक्कीका आटा अधिक बलकारा है और छाने हुए आटेकी अपक्षा बिना छाना हुआ-चापड़ भूसीयुक्त आटा अधिक गुणकारी है । आजकलके शौकीनोंको मैलापन जरा भी पसन्द नहीं । इसलिए वे आटेको जितना. बन सकता है, उतना सफेद बनानेकी कोशिश करते हैं । वे नहीं जानते कि सादे आटेमें जो मैलापन रहता है, वह उसके तैलाक्त अंश, फासफरस और नाइट्रोजनके मेलके कारण रहता है। सफेदीकी बढ़तीके साथ साथ धे चीजें कम होती जाती हैं और मनुष्य गेहूँके असली पौष्टिक भागसे वंचित होला जाता है । गेहूँका छिलका यदि अलग न किया जाय, तो पाचन शक्तिको बहुत लाभ होता है । यह अंश पुष्टिकर भी है। कलके आटेका स्वत्व और स्वाद घर्षणकी तीव्र उष्णतासे नष्ट हो. जाता है। - शोकजनक मृत्यु-इन्दौरके सुप्रसिद्ध सेठ रायबहादुर कस्तूरचन्दजीकी धर्मपत्नी श्रीमती अनूपबाईका आषाढवदी १२ को स्वर्गवास हो गया। कई महीनोंसे आप बीमार थीं। सेठजीने बहुत प्रयत्न किया-कोई एक लाख रुपया खर्च कर दिया- परन्तु लाभ न हुआ सेठानीजीका स्वभाव धर्माल था, विद्यासे भी आपको प्रीति थी। मृत्युके। समय आप ३१ हजार रुपयोंका दान कर गई हैं । इस दानसे कोई विद्याशिक्षासम्बन्धी संस्था खुलेगी । हमारी एकान्त इच्छा है कि सेठानीजीके, सद्गति प्राप्त हो और सेठजी अपने इस पत्नीवियोगदुःखसे शान्ति लाभ करें। ___ एक मजिस्ट्रेटका क्रोध—बेलारी जिलाके हरपनहल्ली नामक नगरमें 'यूनियन कमेटी' नामकी संस्था है। उसके सभापतिके पास वहाँके साहब मजिस्ट्रेटने एक फरमान भेजा कि भटकते हुए लावारिस कुत्ते मार डाले जावें । सभापति महाशय जैनी हैं, तो भी साहबके
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