Book Title: Jain Hiteshi 1913 Ank 06 07
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 130
________________ ग्रन्थोंका नोटिस जुदा दिया है। 'चौबेका चिहा' नामक ग्रन्थमेंसे उद्धृत करके 'बुढापेकी बातें' शीर्षक लेख इस अंकके प्रारंभमें प्रकाशित किया गया हैं । उसे पढ़कर उक्त ग्रन्थके लेखोंका अनुमान किया जा सकता है। एक ग्रन्थ अभी हाल ही छपकर प्रकाशित हुआ है जिसका नाम है मितव्ययिता या गृहप्रबन्धशास्त्र । इसे बाबू दयाचन्द्रजी जैनी, बी. ए. ने लिखा है। यह ग्रन्थ प्रत्येक जैनकुटुम्बमें अवश्य रहना चाहिए और प्रत्येक पुरुष स्त्रीको इसका स्वाध्याय करना चाहिए। दिगम्बर जैन डिरैक्टरी। छपकर तैयार है। शीघ्र मँगाइए। मूल्य,आठ रुपया। लगभग १५ हजार रुपयोंके खर्चसे यह बड़ी भारी पुस्तक तैयार हुई है। सारे हिन्दुस्थानमें कहाँ कहाँ, कितने किस किस जातिके जैनी बसते हैं, क्या धंदा करते हैं, मन्दिर कितने हैं, मुखिया कौन कौन हैं, किस गांवका कौनसा डाँकखाना, स्टेशन आदि है, दिगम्बरियोंकी कुल सख्या कितनी है, कौन कौन जातिके कितने कितने घर हैं, सिद्धक्षेत्र अतिशय क्षेत्र आदि कहाँ कहाँ हैं, उनका और बड़े बड़े शहरों स्थानोंका प्राचीन इतिहास क्या है, इत्यादि सैकड़ों जानने योग्य बातोंका इसमें संग्रह है। व्यापारियों और नोटिस बाँटनेवाले लोगोंके लिए तो बड़े ही कामकी चीज है। श्रीपालचरित हिन्दी वचनिकामें छपाया गया है। छपाई बहुत अच्छी है । भाषा सरल है। पक्की जिल्द बँधी है। एक रुपया दो आनेमें मँगा लीजिए। जम्बूस्वामी चरित्र भी हिन्दी वचनिकामें छपा है। मूल्य ।)। जैनार्णव भी जिसमें-१०० पुस्तकोंका संग्रह है- हमारे यहाँ मिलता है । मूल्य एक रुपया। मैनेजर,-जैनग्रन्थरत्नाकर कार्यालय, हीराबाग, पो० गिरगांव, बम्बई। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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