Book Title: Jain Hiteshi 1913 Ank 06 07
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 124
________________ जिंस दिन सेठ मेवारामजी स्वयं ही एक अच्छा प्रेस खोलकर उसके द्वारा जैनग्रन्थोंको छपानेका काम जारी कर देंगे और यह बिलकुल संभव बात है। पाठक विश्वास रखें कि मेरी यह भविष्यद्वाणी अवश्य सच निकलेगी । अभी सेठजी अपनी जगहसे थोडेसे खिसके हैं-धीरे धीरे अपने पास तक भी आ पहुँचेगे। किसी शायरने क्या अच्छा कहा है: छज्जेकी रहनेवाली जीने पर आ गई। रफ़ते रफते अपने करीने पर आ गई ॥ -लाल बुझक्कड़। विविध समाचार। पट्टाभिषेक हो गया -आखिर श्रीमती मणीबाईकी कृपासे ज्येष्ठ वदी २ को पं० सुन्दरलालजीका सूरतकी भट्टारककी गद्दी पर पट्टाभिषेक हो गया। सूरतके और बाहरके भाइयोंने बहुत कुछ उछलकूद मचाई; परन्तु पण्डितजी तो भट्टारक महाराज बन ही गये ! आपका नया नाम हुआ है 'भट्टारक सुरेन्द्रकीर्तिजी महाराज' । जब तक सुन्दरलालजी जैसे सदाचारी और विद्वान् जैनसमाजमें पूज्य समझे जा रहे हैं, तब तक मजाल नहीं कि उन्नति उसकी ओर आँख उठाकर भी देख सके। साधुओंके लिए कानून-मालूम होता है जोधपुर राज्य साधुओंकी शैतानीसे तंग आ गया है। वहाँ जरा जरासे बच्चे मूड लिए जाते हैं और साधु बना दिये जाते हैं। आगे युवावस्थामें उनके चरित्र इतने बिगड़ते हैं कि लोगोंको साधु शब्दसे ही घृणा होने लगती है। वास्तवमें यह बात प्रकृतिके नियमसे विरुद्ध है । जोधपुर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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