Book Title: Jain Hiteshi 1913 Ank 03
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 2
________________ नई पुस्तकें। समाज। बंग साहित्यसम्राट्कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुरकी बंगला पुस्तकका हि अनुवाद । इस पुस्तककी प्रशंसा करना व्यर्थ है । सामाजिक विषयोंपर पाण्डित्यपूर्ण विचार करनेवाली यह सबसे पहली पुस्तक है। इस पुस्तकमेंके समुद्र यात्रा, अयोग्यभक्ति, आचारका अत्याचार आदि दो तीन लेख पहले जैनहितैषीमें प्रकाशित हो चुके हैं। जिन्होंने उन्हें पढ़ा होगा वे इस ग्रन्थका महत्त्व समझ सकते हैं। मूल्य आठ आना। प्रेमप्रभाकर। रूसके प्रसिद्ध विद्वान् महात्मा टाल्सटायकी २३ कहानियोंका हिन्दी अनुवाद। प्रत्येक कहानी दया, करुणा, विश्वव्यापी प्रेम, श्रद्धा और भाक्तके तत्त्वोंसे भरी हुई है। बालक स्त्रियां, जवान बूढ़े सब ही इनसे शिक्षा उठा सकते हैं। मू०१) कहानियोंकी पुस्तक-लाला मुंशीलालजी जैन एम. ए. की लिखी हुई। इसमें छोटी छोटी ७५ कहानियोंका संग्रह है। बालकों और विद्यार्थियोंका बड़े ही कामकी है । मनोरंजक भी है और शिक्षाप्रद भी है। मूल्य ।) गृहिणीभूषण-प्रत्येक स्त्रीके पढ़ने योग्य बहुत ही शिक्षाप्रद पुस्तक अभी हाल ही तैयार हुई है । भाषा भी इसकी सबके समझने योग्य सरल है। स्वर्गीय जीवन-अमेरिकाके प्रसिद्ध आध्यात्मिक विद्वान् राल्फ वाल्टो ट्राइनकी अंगरेजी पुस्तकका अनुवाद । पवित्र, शान्त, नीरोगी और सुखमय जीवन कैसे बन सकता है यह इस पुस्तकमें बतलाया गया है। मानसिक प्र त्तियोंका शरीरपर और शारीरिक प्रवृत्तियोंका मनपर क्या प्रभाव पड़ता इसका इसमें बड़ा ही हृदयग्राही वर्णन है। प्रत्येक सुखाभिलाषी पुरुष स्त्रीको पुस्तक पढ़ना चाहिए। मूल्य ॥ मिलनेका पता:जैनग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय, हीराबाग, पो० गिरगांव-बम्बई Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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