Book Title: Jain Gyan Mimansa
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 134
________________ जैन धर्म एवं दर्शन-420 .जैन ज्ञानमीमांसा-128 विरोधाभासपूर्ण प्रतीत होता है और यही कारण है कि बौद्धों और वेदान्तियों ने इस अनेकान्त-दृष्टि को अनर्गल प्रलाप कहा है, किन्तु अनुभव के स्तर पर इनमें कोई विरोध प्रतीत नहीं होता है। एक ही व्यक्ति बाल्यावस्था, युवावस्था और वृद्धावस्था को प्राप्त होता है। इन विभिन्न अवस्थाओं के फलस्वरूप उसके शरीर, ज्ञान, बुद्धि, बल आदि में स्पष्ट रूप से परिवर्तन परिलक्षित होते हैं, फिर भी उसे वही व्यक्ति माना जाता है। जो बालक था, वही युवा हुआ और वही वृद्ध होगा। अतः, जैनों ने वस्तु को उत्पाद-व्यय-ध्रौव्यात्मक कहकर जो इसका अनैकान्तिक स्वरूप निश्चित किया है, वह भले ही तार्किक-दृष्टि से आत्मविरोधी प्रतीत होता हो, किन्तु आनुभविक-स्तर पर उसमें कोई विरोध नहीं है। जिस प्रकार व्यक्ति बदलकर भी नहीं बदलता, उसी प्रकार वस्तु भी परिवर्तनों के बीच वही बनी रहती है। जैनों के अनुसार, नित्यता और.परिवर्तनशीलता में कोई आत्मविरोध नहीं है। वस्तु के अपने स्वलक्षण स्थिर रहते हुए भी निमित्त के अनुसार परिवर्तन को प्राप्त करते हैं। अस्तित्व या सत्ता की दृष्टि से द्रव्य नित्य है, किन्तु पर्यायों की अपेक्षा से उसमें अनित्यता परिलक्षित होती है। यदि वस्तु को सर्वथा क्षणिक माना जायेगा, तो उसमें यह अनुभव कभी नहीं होगा कि यह वही है। यह वही है- ऐसा प्रत्यभिज्ञान तो तभी सम्भव हो सकता है, जब वस्तु में ध्रौव्यता को स्वीकार किया जाय। जिस प्रकार, वस्तु की पर्यायों में होने वाला परिवर्तन अनुभूत सत्य है, उसी प्रकार वह वही हैइस रूप में होने वाला प्रत्यभिज्ञान अनुभूत सत्य है। एक व्यक्ति बालभाव का त्याग करके युवावस्था को प्राप्त करता है- इस घटना में बालभाव का क्रमिक विनाश और युवावस्था की क्रमिक उत्पत्ति हो रही है, किन्तु यह भी सत्य है कि 'वह' जो बालक था, 'वही' युवा हुआ है और यह वही होना ही ध्रौव्यत्व है। इस प्रकार, वस्तुतत्त्व को अनैकान्तिक मानने का अर्थ है- वह न केवल अनन्त गुणधर्मों का पुंज है, अपितु उसमें परस्पर विरोधी कहे जाने वाले गुणधर्म भी अपेक्षा-विशेष से एक साथ उपस्थित रहते हैं। अस्तित्व नास्तित्वपूर्वक है और नास्तित्व अस्तित्वपूर्वक है। एकता में अनेकता और अनेकता में एकता अनुस्यूत है, जो द्रव्य–दृष्टि से नित्य है,

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