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जब उससे आगमों के अध्ययन का मात्र अधिकार ही नहीं छीना गया, अपितु उपदेश देने का अधिकार भी समाप्त कर दिया गया । आज भी श्वेताम्बर मूर्तिपूजक परम्परा के तपागच्छ में भिक्षुणियों को इस अधिकार से वंचित ही रखा गया है । यद्यपि पुनर्जाग्रति के प्रभाव से आज अधिकांश जैन सम्प्रदायों में साध्वियाँ आगमों के अध्ययन और प्रवचन का कार्य कर रही हैं।
निष्कर्ष के रूप में हम यह कह सकते हैं कि प्राचीन काल और आगम युग की अपेक्षा आगमिक व्याख्या युग में किसी सीमा तक नारी के शिक्षा के अधिकार को सीमित किया गया था। तुलनात्मक दृष्टि से यहाँ यह भी दृष्टव्य है कि नारीशिक्षा के प्रश्न पर वैदिक और जैन परम्परा में किस प्रकार समानान्तर परिवर्तन होता गया। आगमिक व्याख्या साहित्य के युग में न केवल शिक्षा के क्षेत्र में अपितु धर्मसंघ में और सामाजिक जीवन में भी स्त्री की गरिमा और अधिकार सीमित होते गये। इसका मुख्य कारण तो अपनी सहगामी हिन्दू परम्परा का प्रभाव ही था, किन्तु इसके साथ ही अचेलता के अति आग्रह ने भी एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। यद्यपि श्वेताम्बर परम्परा अपेक्षाकृत उदार रही, किन्तु समय के प्रभाव से वह भी नहीं बच सकी और उसमें भी शिक्षा, समाज और धर्मसाधना के क्षेत्र में आगम युग की अपेक्षा आगमिक व्याख्या युग में नारी के अधिकार सीमित किये गये।
___ इस प्रकार काल-क्रम में जैन धर्म में भी भारतीय हिन्दू समाज के प्रभाव के कारण नारी को उसके अधिकारों से वंचित किया गया था, फिर भी भिक्षुणी के रूप में उसकी गरिमा को किसी सीमा तक सुरक्षित रखा गया था।
भिक्षुणी-संघ और नारी की गरिमा"
जैन भिक्षुणी संघ में नारी की गरिमा को किस प्रकार को किस प्रकार सुरक्षित रखा गया इस सम्बन्ध में यहाँ किंचित् चर्चा कर लेना उपयोगी होगा। जैसा कि हम पूर्व में सूचित कर चुके हैं जैनधर्म के भिक्षुणी संघ के द्वार बिना किसी भेदभाव के सभी जाति, वर्ण एवं वर्ग की स्त्रियों के लिए खुले हुए थे। जैन भिक्षुणी संघ में प्रवेश के लिए सामान्य रूप से वे ही स्त्रियाँ अयोग्य मानी जाती थी, जो बालिका अथवा मूर्ख या पागल हों या किसी संक्रामक और असाध्य रोग से पीड़ित हो अथवा जो इन्द्रियों या अंग से हीन हो, जैसे अंधी, पंगु, लूली आदि। किन्तु स्त्रियों के लिए भिक्षुणी संघ में प्रवेश उस अवस्था में भी वर्जित था - जब वे गर्भिणी हों अथवा उनकी गोद में अति अल्पवय का दूध पीता हुआ शिशु हो। इसके अतिरिक्त
जैन धर्म में नारी की भूमिका :31
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