________________ डॉ. सागरमल जैन जन्म तिथि दि. 22.02.1932 जन्म स्थान : शाजापुर (म.प्र.) शिक्षा : साहित्यरत्न : 1954 एम.ए. (दर्शन शास्त्र) : 1963 पी-एच.डी. : 1969 अकादमिक उपलब्धियाँ : प्रवक्ता म.प्र. शास. शिक्षा सेवा (1964-67), सहायक प्राध्यापक (1968-85), प्राध्यापक (प्रोफेसर) (1985-89), निदेशक, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी (1979-97) लेखन : 30 पुस्तकें, 25 लघु पुस्तिकाएँ सम्पादन 150 पुस्तकें सम्पादक जैन विद्या विश्वकोष (पार्श्वनाथ विद्यापीठ की महत्वाकांक्षी परियोजना) 'श्रमण' त्रैमासिक शोध पत्रिका पुरस्कार प्रदीपकुमार रामपुरिया पुरस्कार (1986,1998), स्वामी प्रणवानन्द पुरस्कार (1987), डिप्टीमल पुरस्कार (1992), आचार्य हस्तीमल स्मृति सम्मान (1994), विद्यावारिधि सम्मान (2003), कलां मर्मज्ञ सम्मान (2006), जैन प्रेसीडेन्शियल अवार्ड (यू.एस.ए. 2007), गौतमगणधर पुरस्कार (2008), आचार्य तुलसी प्राकृत पुरस्कार (2009). सदस्यः अकादमिक समितिः विद्वत् परिषद, भोपाल विश्वविद्यालय, भोपाल जैन विश्वभारती संस्थान लाडनूं मानद निदेशक, आगम, अहिंसा, समता एवं प्राकृत संस्थान, उदयपुर / सम्प्रति संस्थापक एवं निदेशक प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर (म.प्र.) विदेश भ्रमण शिकागो, राले, ह्यूस्टन, न्यूजर्सी, उत्तरी करोलीना, वाशिंगटन, सेनफांसिस्को, लॉस एंजिल्स, फिनीक्स, सेंट लुईस, पिट्सबर्ग, टोरण्टो, न्यूयार्क, कनाडा और लंदन यू. के.। प्राच्य विद्यापीट: एक परिचय डॉ. सागरमल जैन पारमार्थिक शिक्षण न्यास द्वारा सन् 1997 से संचालित प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर आगरा-मुम्बई राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित इस संस्थान का मुख्य उदेश्य भारतीय प्राच्य विद्याओं के उच्च स्तरीय अध्ययन, प्रशिक्षण एवं शोधकार्य के साथ-साथ भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को पुनः प्रतिष्ठित करना है। इस विद्यापीठ में जैन, बौद्ध और हिन्दु धर्म आदि के लगभग 12,000 दुर्लभ ग्रन्थ उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त 700 हस्तलिखित पाण्डुलिपियाँ भी है। यहाँ 40 पत्रपत्रिकाएँ भी नियमित आती है। RAATSONGS org JUDUCULUSURISE SADrint - Akrati Offset Uiiain Ph.0734-2561720, 96300-777000 00