Book Title: Jain Dharm ki Hajar Shikshaye
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar

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Page 259
________________ __ २५ गुच्छक चत्तारि सुताअतिजाते, अणुजाते, अवजाते, कुलिंगाले। -स्थानांग १ कुछ पुत्र गुणों की दृष्टि से अपने पिता से बढ़कर होते हैं। कुछ पिता के समान होते हैं और कुछ पिता से हीन । कुछ पुत्र कुल का सर्वनाश करने वाले कुलांगार होते हैं। आवायभद्दए णाम, एगे णो संवासभदए । संवासभद्दए णाम, एगे णो आवायभद्दए। एगे आवायभद्दए वि, संवासभद्दए वि । एगे णो आवायभदए, णो संवासभदए । -स्थानांग ४१ कुछ व्यक्तियों की मुलाकात अच्छी होती है, किन्तु सहवास अच्छा नहीं होता। कुछ का सहवास अच्छा रहता है, मुलाकात नहीं। कुछ एक की मुलाकात भी अच्छी होती है और सहवास भी। कुछ एक का न सहवास ही अच्छा होता है और न मुलाकात ही। २२५

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