Book Title: Jain Dharm Vikas Book 02 Ank 04 05 06
Author(s): Lakshmichand Premchand Shah
Publisher: Bhogilal Sankalchand Sheth

View full book text
Previous | Next

Page 4
________________ १०६ धर्म विक्ष कारियतित्युद्धारा-पालियसमणासुसारणाईहिं । कारिय गंथपसिद्धी-चउविहसंघोवयारपरा ॥१२॥ विण्णायसव्वसमया-आयरिया विजयणीइसरिंदा । गयणिहिणिहाणचंदे-पोसे कण्हे तईयाए ॥१३॥ गामिकलिंगमज्झे-समाहिणा मेयवाडमजम्मि । जाया देवा हरिसा-भन्वा पणमंतु ते सूरी ॥१४॥ तग्गुणसेवादक्खो-सिरिसंघो मुत्तिमग्गमुण्णइयं । आराहिऊण भावा-होउ विहियपुण्णकल्लाणो ॥१५।। सिरिहरिसमरिराया-पट्टहरा वायगा दयाविजया । . नियसीसा पण्णासा-सिरिदाणा मुत्तिपवरुदया ॥१६॥ संपयगणिणो चउरो-पसीसपयरे गणीसपण्णासा। माणविजयकल्लाणा-विजउत्तरमंगलो तइओ ॥१७॥ सिरिहरिसमरिसीसा-एए तिण्णिवि मणोहरा भिक्खो । उदयगणीसरसीसो-मिलिया सव्वे दस पयत्था ॥१८॥ सुहपरिवारे जेसिं-सगवीसइसग्गुणीससीसाणं । इगूणवीसइससा करेंड ते संघकल्लाणं ॥१९॥ सद्विपसीसेसु तहा-विहरंता साहुषो य पणपण्णा ॥ चउहत्तरिमुणिणाहा-करेउ ते संघकल्लाणं ॥२०॥ पावेतु सव्वजीवा-जिणवइवरसासणं ण जा मुत्ती। इंतु पचत्तविहावा-संसाहियमुत्तिथिरसुक्खा ॥२१॥ सिरिजिणदेवपसाया-पोरुषसग्गोवसतिवित्थारो । सव्वत्थ होउ सव्धे-हवंतु परिकयारसिया ॥२२॥ णियपरहेउविवाया-हुंतु पणट्टा पभावणाईहिं । वित्थरउ सव्वहियए-भद्दमई सव्वया पुण्णा ।।२३॥ चउवीसियाइ पढणा-गुणवरसिरिणीइसरिसुगुरूणं ॥ साहेउ रिद्धिवुड्डी-सिरिसंघो सपरकल्लाणं ॥२४॥ ॥ समत्ता सिरिणीइ चउवीसिया ॥

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 104