Book Title: Jain Dharm Sar Sandesh Author(s): Kashinath Upadhyay Publisher: Radhaswami Satsang Byas View full book textPage 9
________________ 8 4. अहिंसा अहिंसा का स्वरूप गृहस्थ और अहिंसा अहिंसा की महिमा हिंसा की घोर निन्दा मांस-मदिरा का निषेध 5. मानव-जीवन मानव-जीवन की दुर्लभता मानव-जीवन की क्षणभंगुरता मानव-जीवन की सार्थकता मानव-जीवन की निरर्थकता 6. गुरु गुरु की आवश्यकता गुरु का स्वरूप गुरु-प्राप्ति का फल शिष्य का कर्तव्य गुरु की सेवा से हानि 7. दिव्यध्वनि दिव्यध्वनि का स्वरूप दिव्यध्वनि का प्रभाव 8. अनुप्रेक्षा ( भावना) वैराग्य बढ़ानेवाली भावनाएँ ध्यान को स्थिर बनानेवाली भावनाएँ जैन धर्म : सार सन्देश 104 104 115 119 124 129 136 136 139 144 155 161 161 176 184 198 209 216 216 225 234 258Page Navigation
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