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जैन धर्म : सार सन्देश इस पुस्तक के लेखक डॉ. काशी नाथ उपाध्याय भारतीय दर्शन के एक जाने-माने विद्वान् हैं, जिन्होंने लगभग 18 वर्षों तक भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों में और 25 वर्षों तक अमेरिका के हवाई विश्वविद्यालय में भारतीय दर्शन का उच्चस्तरीय अध्यापन और अनुसन्धान-कार्य किया है। दर्शन और अध्यात्म-सम्बन्धी विषयों पर इनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हैं। प्रस्तुत पुस्तक में इन्होंने जैन धर्म के विशाल साहित्य से आवश्यक सामग्री एकत्र कर जैन धर्म के प्रमुख सिद्धान्तों और उसके आचार, विचार तथा विशेष रूप से मोक्ष-प्राप्ति के साधनों से सम्बन्धित विषयों को सरल और प्रामाणिक रूप से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। इस पुस्तक में इन्होंने यह स्पष्ट करने की चेष्टा की है कि जैन धर्म किसी व्यक्ति, वर्ग, सम्प्रदाय या जाति का धर्म नहीं है बल्कि यह सभी प्रकार की संकीर्णताओं से ऊपर उठकर सभी मनुष्यों को समान रूप से कल्याण का मार्ग दिखलाता है।
आशा है यह पुस्तक सच्चे जिज्ञासुओं, साधकों और सर्वसाधारण पाठकों - सभी के लिए उपयोगी सिद्ध होगी और सभी इसके निष्पक्ष अध्ययन द्वारा अपने आत्मकल्याण के मार्ग में आगे बढ़ने की प्रेरणा प्राप्त करेंगे।
डेरा बाबा जैमलसिंह, जिला अमृतसर, पंजाब मई, 2010
जे. सी. सेठी, सेक्रेटरी. राधास्वामी सत्संग ब्यास