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4. अहिंसा
अहिंसा का स्वरूप
गृहस्थ और अहिंसा
अहिंसा की महिमा
हिंसा की घोर निन्दा
मांस-मदिरा का निषेध
5. मानव-जीवन
मानव-जीवन की दुर्लभता
मानव-जीवन की क्षणभंगुरता
मानव-जीवन की सार्थकता
मानव-जीवन की निरर्थकता
6. गुरु
गुरु की आवश्यकता
गुरु का स्वरूप
गुरु-प्राप्ति का फल शिष्य का कर्तव्य
गुरु की सेवा से हानि
7. दिव्यध्वनि
दिव्यध्वनि का स्वरूप
दिव्यध्वनि का प्रभाव
8. अनुप्रेक्षा ( भावना)
वैराग्य बढ़ानेवाली भावनाएँ
ध्यान को स्थिर बनानेवाली भावनाएँ
जैन धर्म : सार सन्देश
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