Book Title: Jain Darshan ki Sangna ki Avdharna ka Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Pramuditashreeji
Publisher: Pramuditashreeji

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Page 3
________________ प्रो. (डॉ.) सागरमल जैन संस्थापक निदेशक प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर (म.प्र.) दिनांक : 22-03-2011 प्रमाण-पत्र प्रमाणित किया जाता है कि साध्वी श्री प्रमुदिता श्रीजी द्वारा प्रस्तुत "जैन दर्शन की संज्ञा की अवधारणा का समीक्षात्मक अध्ययन' नामक शोध-प्रबन्ध मेरे निर्देशन में तैयार किया गया है। उन्होंने यह कार्य लगभग 1 वर्ष तक मेरे सानिध्य में रहकर पूर्ण किया है। मेरी दृष्टि में यह शोधकार्य मौलिक है और इसे किसी अन्य विश्वविद्यालय में पी-एच.डी. की उपाधि हेतु प्रस्तुत नहीं किया गया है। . मैं इस शोध-प्रबन्ध को जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय, लाडनूं की पी-एच.डी. की उपाधि हेतु समीक्षार्थ अग्रसारित करता हूँ। (amxn प्रो. (डॉ.) सागरमल जैन संस्थापक निदेशक प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर (म.प्र.) डॉ. सागरजला प्राच्य विपी MT Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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