Book Title: Jain Darshan Adhunik Drushti
Author(s): Narendra Bhanavat
Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal

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Page 95
________________ अन्धकार समूह के हो जाने से प्रकाश का आविर्भाव बहुत कठिनता से होगा। समय की रूक्षता से चन्द्रमा अधिक शीत होगा और सूर्य भी अधिक तपेगा । उस क्षेत्र मे बार-बार बहुत अरस, विरस मेघ, क्षार मेघ, विद्युन्मेघ, अमनोज्ञ मेघ, प्रचण्ड वायु वाले मेघ बरसेंगे। उस समय भूमि अग्निभूत, मुर्मरभूत, भस्मभूत हो जाएगी। पृथ्वी पर चलने वाले जीवो को वहत कष्ट होगा। उस क्षेत्र के मनुष्य विकृत वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श वाले होगे तथा वे ऊँट की तरह वक्र चाल चलने वाले, शरीर के विषम सन्धि-कन्ध को धारण करने वाले, ऊँची-नीची विषम पसलियो तथा हडियो वाले और कुरूप होगे। उत्कृष्ट एक हाथ की अवगाहना (ऊँचाई) और २० वर्ष की आयु होगी। बडी-बडी नदियो का विस्तार रथ मार्ग जितना होगा । नदियो मे पानी बहुत थोडा रहेगा। मनुष्य भी केवल वीज रूप ही बचेंगे। वे उन नदियो के किनारे बिलो मे रहेगे। सूर्योदय से एक मुहूर्त पहले और सूर्यास्त से एक मुहूर्त पश्चात् विलो से वाहर निकलेंगे और मत्स्य आदि को उष्ण रेती मे पकाकर खायेंगें। ' छठे पारे के अन्त होने पर यह ह्रास अपनी चरम सीमा पर पहुंचेगा । इसके बाद पुन उत्सर्पिणी काल-चक्रार्द्ध प्रारम्भ होगा जिससे प्रकृति का वातावरण पुन सुधरने लगेगा। शुद्ध हवाये चलेंगी। स्निग्ध मेघ बरसेंगे और अनुकूल तापमान होगा। सृष्टि बढेगी। गाव व नगरो का पुन निर्माण होगा। यह क्रमिक विकास उत्सपिणी के अन्त काल मे अपनी चरम सीमा पर पहुंचेगा। इस प्रकार एक काल-चक्र सम्पन्न होता है। जैन मान्यता के अनुमार अवसपिरणी काल के तीसरे आरे 'सुखमादुखमा' के समाप्त होने मे ८४,००,००० पूर्व, तीन वर्ष व साढे पाठ महीने शेप रहने पर अन्तिम कुलकर से प्रथम तीर्थङ्कर का जन्म होता है। प्रथम तीर्थडर के समय ही प्रथम चक्रवर्ती का भी जन्म होता है । चौथे आरे 'दुखमा सुखमा' मे २३ तीर्थङ्कर, ११ चक्रवर्ती, ६ बलदेव, ६ वासुदेव और प्रतिवासुदेव जन्म लेते हैं। इसी प्रकार उत्सपिणी काल के तीसरे आरे 'दुखमा-सुखमा' के तीन वर्ष और साढे आठ महीने व्यतीत होने पर प्रथम तीर्थङ्कर का जन्म होता है । इस पारे मे २३ तीर्थङ्कर, ११ चक्रवर्ती ६ वलदेव, ६ वासुदेव और ६ प्रतिवासुदेव होते हैं। चौथे आरे 'सुखमादुखमा' के ८४ लाख पूर्व, तीन वर्ष साढे आठ महीने बाद २४वे तीर्थङ्कर मोक्ष चले जाते है और १२वें चक्रवर्ती की आयु पूर्ण हो जाती है।

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