Book Title: Itihas Ke Aaine Me Navangi Tikakar Abhaydevsuriji Ka Gaccha
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Mission Jainatva Jagaran

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Page 4
________________ अनुक्रमणिका 6 11 14 18 19 21 31 36 36 1. भूमिका 2. नवाङ्गी टीकाकार आ. अभयदेवसूरिजी का संक्षिप्त परिचय 3. इतिहास के आइने में अभयदेवसूरिजी का गच्छ!! 4. जिनेश्वरसूरिजी एवं उनके शिष्यों के उल्लेख 5. प्राचीन ऐतिहासिक ग्रन्थों के उल्लेख 6. खरतरगच्छ के सहभावी रुद्रपल्लीय गच्छ एवं अन्य गच्छीय ग्रंथों के उल्लेख 7. इतिहास विशेषज्ञों के उल्लेख 8. 12वीं शताब्दी के प्रक्षिप्त पाठ एवं जाली लेख!!! 9. पुरातत्त्वाचार्य जिनविजयजी के उल्लेख 10. सं. 1080 में दुर्लभराजसभा की कसौटी 11. इतिहास में बढा एक और विसंवाद 12. क्या जिनेश्वरसूरिजी और सूराचार्य मिले थे ? 13. 'खरतर' शब्द का अर्थ और बिरुद के रूप में विरोधाभास 14. 'खरतर' शब्द की प्रवृत्ति कब और किससे? 15. उपाध्याय सुखसागरजी का उल्लेख!!! 16. 'जैनम् टुडे' के लेख की समीक्षा 17. सं. 1617 के मत-पत्र की समीक्षा 18. आ. जिनचंद्रसूरिजी एवं अभयदेवसूरिजी खरतरगच्छीय नहीं थे!!! 19. क्या खरतरगच्छ अभयदेवसूरि संतानीय है? 20. पं. कल्याणविजयजी का महत्त्वपूर्ण लेख !!! 21. अभयदेवसूरिजी एवं खरतरगच्छ में मान्यता भेद!!! 22. अभयदेवसूरिजी की शिष्य-परंपरा में कौन? 23. मिली इतिहासकी नयी कडी!!! 24. अंतिम निष्कर्ष एवं हार्दिक निवेदन... 37 39 43 44 45 48 52 53 56 64 66 68 79 इतिहास के आइने में - नवाङ्गी टीकाकार अभयदेवसूरिजी का गच्छ /004

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