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अजवराज - भोजे
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नाना विधाओं में रचित उस विशाल जैन साहित्य का एकत्र विवरण देना दुष्कर है अतः उसके भिन्न-भिन्न प्रदेशों में विकसित साहित्यिक इतिहास का विवरण गद्य, पद्य, उपन्यास, नाटक आदि भिन्न-भिन्न साहित्य रूपों में प्रस्तुत करना युक्तियुक्त होगा ।
(ग) मरुगुर्जर (हिन्दी) की कतिपय ज्ञात एवं अज्ञात लेखकों की गद्य रचनाओं का विवरण
१९वीं शती में भारत के विभिन्न प्रदेशों की आधुनिक भाषाओं में गद्य का विकास हुआ। बंगला, हिन्दी, गुजराती, मराठी के अतिरिक्त तैलगु, कन्नड आदि द्रविड़ भाषाओं में भी गद्य का विकास समुचित रीति से इसी शताब्दि में संभव हुआ । इन भाषाओं के साहित्येतिहास ग्रंथों का अवलोकन करने पर ज्ञात होता है कि कतिपय अखिल भारतीय कारण थे जिनकी वजह से इन भाषाओं में गद्य का विकास इस शती में संभव एवं सुगम हुआ।
इस खण्ड के प्रथम अध्याय में राजनीतिक परिस्थितियों का उल्लेख करते समय यह बताया गया है कि मुगल साम्राज्य के पतन के साथ कई छोटे-छोटे स्वतंत्र राज्य स्थापित हो गये । अवध, बंगाल की नबाबी, राजपूतों, सिक्खों, जाटों की स्वतंत्र रियासतें और दक्कन में निजाम, मैसूर और मराठों की स्वतंत्र रियासतें इसी अवधि में स्थापित हुईं। इसी शती में ईस्ट इण्डिया कम्पनी का राज्य विस्तार भी हुआ। कम्पनी का प्रभाव क्रमशः बढ़ता गया और देशी रियासतों पर कम्पनी का शिकंजा कसता गया। दिल्ली दरबार के उजड़ने पर तमाम व्यापारी, कलाकार, साहित्यकार दिल्ली छोड़कर देशी रियासतों में जाकर आश्रय लेने लगे इसलिए वहाँ दिल्ली की भाषा - खड़ीबोली के प्रचार प्रसार का अवसर मिला । स्थानीय भाषाओं में साहित्य, व्यापार, कारोबार और शिक्षा शुरु हुई इसलिए स्थानीय भाषाओं में गद्य के विकास का अवसर मिला।
कम्पनी सरकार ने शिक्षा प्रचार का उद्यम किया। अनेक विषयों की शिक्षा के लिए प्रादेशिक भाषाओं में गद्य के विकास का अच्छा अवसर मिला। पद्य में भूगोल, गणित, विज्ञान, इतिहास आदि विषयों की शिक्षा देना असंभव था, इसलिए गद्य का विकास हुआ।
अंग्रेजों ने फोर्ट विलियम कालेज की स्थापना की और वहाँ बंगला, हिन्दी, मराठी आदि भाषाओं की गद्य पुस्तकें तैयार हुई ताकि अंग्रेज अफसरों को विभिन्न प्रदेशों की भाषाओं का समुचित शिक्षण दिया जा सके। इस प्रकार प्रादेशिक भाषाओं में गद्य का विकास आसान हुआ।
अंग्रेजों ने ईसाई धर्म प्रचार के लिए विविध प्रादेशिक भाषाओं में गद्य में पैम्प्लेट छपवाये, प्रकीर्णक बाँटे, जो प्रायः जनता को समझाने के लिए स्थानीय बोलचाल की
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