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हिन्दी जैन साहित्य का बृहद् इतिहास २२. वही भाग-३, पृ०-२१९७-९८, प्र०सं० और वही भाग, पृ०-५६९
न०सं०. २३. मो०८०दे०-जैगु०क० भाग-३, पृ०-२१९२ प्र०सं० और वही भाग-६,
पृ०-५७१ न०सं०. वही भाग-३, पृ०-२१८९ प्र०सं० और वही भाग-६, पृ०-५७२
न०सं०. २५. वही भाग-३, पृ०-२१९४ और वही भाग-६, पृ०-५७४ न०सं०.
मो०८०दे०-जै०गु०क० भाग-६, पृ०-४१९ न०सं०. २७. मो०द०दे०-जैगु०क० भाग-६, पृ०-४१६ न०सं०. २८. मो०द०दे०-जैगु०क० भाग-६, पृ०-४२२ न०सं०.
मो०८०दे०-जै०गु०क० भाग-६, पृ०-४२३ न०सं०. ३०. वही पृ०-४२४. ३१. वही पृ०-४२४ न०सं०. ३२. वही पृ०-४२५ न०सं०. ३३. कामता प्रसाद जैन हिन्दी जैन सा० का सं० इ० पृ०-२२७. ३४. कामता प्रसाद जैन हिन्दी जैन सा० का सं० इ० पृ०-२२७. 34. "There is enormous mass of litcrature in Various forms---of
Consider able hirtorical importance" B.A. briersun, Linghistic suruey of India.
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