Book Title: Hindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 4
Author(s): Shitikanth Mishr
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 306
________________ रायचंद १९० वा २९५ हिन्दी जैन साहित्य का बृहद् इतिहास नाम पृष्ठ संख्या नाम पृष्ठ संख्या रामविजय - १८७ वराहमिहिर १६० ,, -॥ १८७ वल्लभविजय २०३ ९१, २८३, १८७ ,, वसतो (वस्तो) २०३ ऋषि रायचंद ६६ वसु (,) २६८ राहुल सांकृत्यायन २८३ वाजिद अलीशाह रूप २०४ रूपचंद १९२ वारिश शाह (ब्रह्म) रूपचंद १९१ विक्टोरिया रूपविजय ३२ विजय कीर्ति लखमीचंद १८५ विजय जिनेन्द्र सूरि लखमीविजय १९६ विजय धर्म २१३, ६८, १३९ लक्ष्मीचंद २०४ विजयदेव सूरि ३० लक्ष्मीदास १९६ विजयनाथ माथुर २०६ लक्ष्मीविमल २०४ विजय रत्न १२१ लब्धि १९७ विजयलक्ष्मी सूरि २०६ लब्धि विजय १९७ विद्याधर २८२ लवजी २५, १९७, विद्यानंदि २०८ लाभ विजय ५४ विद्यानिधान १७६ लाल २७१ विद्यासागर ४५ लालजीत २०२ विद्याहेम ४५, २०८ (पांडे) लालचंद (सांगानेरी) २०० विनय २०९ लावण्यकमल १९८ विनयचंद -1 २०९ लालचंद -1 १९८ ,, -॥ २०९ १९९ विनयप्रभसूरि २८३ २०० विनयभक्ति २१० लालदास २६१ विनयविजय लालविजय २०२ विनीत विजय १२२ लाल विनोद २०२ विनोदसागर लावण्यकमल १९८ विपिन चन्द्र लावण्यरत्न विमल विजय लावण्य सौभाग्य २०२ विलासराय २०० लीलाधर १६० विवुधविमल सूरि २०४ लोकाशाह २४ विवेकविजय ३०, २१० वरसिंह १४५ विशुद्धविमल २११ १५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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