Book Title: Hemchandrashabdanushasanam
Author(s): Hemchandracharya, Jambuvijay
Publisher: Hemchandracharya Jain Gyanmandir Patan

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Page 376
________________ १०४ श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनसप्ताध्यायीसूत्राणामकारायनुक्रमः । अधेरारूढे |७|१|१८७|| अध्यात्मादिभ्य इण् |६|३|७८|| अध्वानं येनौ | ७|१|१०३।। अनः | ७|३|८८ || अनक् |२|१|३६|| अनजिरादि - तौ | ३|२|७८|| अनञः क्त्वो यप् ।३।२।१५४|| अनञो मूलात् |२|४|५८|| अनट् |५|३|१२४|| अनडुहः सौ | १|४|७२|| अनतोऽन्तोदात्मने | ४|२|११४|| अनतो लुप् | १|४|५९|| अनतो लुप् |३|२|६|| अनत्यन्ते |७|३|१४| अनद्यतने र्हिः | ७|२|१०१ || अनद्यतने श्वस्तनी |५|३|५|| अनद्यतने ह्यस्तनी |५|२|२|| अननोः सनः | ३|३|७०|| अनन्तः पयः ||१|१|३८|| अनपत्ये | ७|४|५५|| अनरे वा |६|३|६१ || अनवर्णा नामी | १|१|६|| अनाङ्माङो-छः | १|३|२८|| अनाच्छादजा - वा | २|४|४७|| अनातो नश्चान्त-स्य |४|१|६९|| अनादेशादे-तः |४|१|२४|| Jain Education International अनाम्न्यद्विः प्लुप् |६|४|१४१|| अनाम्स्वरे नोन्तः | १|४|६४|| अनार्षे वृद्ध - ष्यः | २|४|७८|| अनिदम्यणपवादे० ० |६|१|१५|| अनियो-वे |१|२|१६|| अनीनाट्य-तः | ७|४|६६।। अनुकम्पा - त्योः | ७|३|३४|| अनुग्वलम् | ७|१|१०२|| अनुनासिके च-टू |४|१|१०८|| अनुपदं बद्धा |७|१|१६|| अनुपद्यन्वेष्टा | ७| १ | १७० ॥ अनुपसर्गाः क्षीबो० |४|२|८०|| अनुब्राह्मणादिन् |६| २|१२३|| अनुशतिकादीनाम् | ७|४|२७|| अनेकवर्णः सर्वस्य |७|४|१०७|| अनोः कतिरि | ७|१|१८८।। अनोः कर्मण्यसति | ३|३|८१|| अनोsटये ये | ७|४|५१ ॥ अनोर्जनेर्डः |५|१|१६८।। अनोर्देशे उप् ।३।२।११०॥ अनो वा | २|४|११ ॥ अनोऽस्य | २|१|१०८ || अन्त: पूर्वादिकण् | ६ | ३ |१३७|| अन्तर्द्धिः |५|३|८९|| अन्तर्बहि-म्नः ।७।३।१३२|| अन्तो नो लुक् |४|२|९४|| For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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