Book Title: Hemchandrashabdanushasanam
Author(s): Hemchandracharya, Jambuvijay
Publisher: Hemchandracharya Jain Gyanmandir Patan
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श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनसप्ताध्यायीसूत्राणामकाराद्यनुक्रमः । १४७
मनुभो - | १|१|२४|| मनोरौ च वा | २|४|६१ || मनोर्याणौ षश्चान्तः | ६ |१|९४ || मन्तस्य युवा - योः | २|१|१०|| मन्थौदनसक्तु-वा |३|२|१०६|| मन्दाल्पाच्च मेघा० |७|३|१३८|| मन्माब्जादेर्नाम्नि |७|२|६७|| मन्यस्यानावाने | २|२|६४|| मन्याण्णिन् |५|१|११६।। मनूक्वनि चित् |५|१|१४७|| मयूरव्यंसकेत्यादयः ।३।१।११६॥
भ्राष्ट्राग्नेरिन्धे | ३|२|११४|| भ्रासभ्लासभ्रम- र्वा | ३|४|७३ || भ्रुवोऽच्च-टयोः | २|४|१०१ || भ्रुवो भ्रुव् च | ६ |१|७६ | भ्रूनोः | २|१|५३ ||
भ्वादिभ्यो वा | ५ | ३|११५।। भ्वादेर्दादेर्घः ।२।१।८३॥ भ्वादेर्नामिनो-ने ।२।१।६३।। मड्डुकझर्झराद्वाणू |६|४|५८||
मण्यादिभ्यः | ७|२|४४|| ममदस्य करणे | ७|१|१४||
मत्स्यस्य यः | २|४|८७ ||
मथलपः | ५|२/५३॥
मद्रभद्राद्वप | ७|२|१४४|| मद्रादञ् |६|३|२४|| मधुबभ्रोर्बाह्म के | ६|१|४३||
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मध्य उत्क - रः | ६ | ३ |७७ || मध्याद्दिनणेया० ० |६|३|१२६ || मध्यान्ताद्गुरौ | ३|२|२१||
मध्यान्मः |६|३|७६ ॥ मध्ये पदे नि-ने | ३|१|११|| मध्वादिभ्यो रः |७|२|२६||
मध्वादेः |६|२|७३||
मनः | २|४|१४|| मनयवलपरे हे | १| ३|१५।। मनसश्चाज्ञायिनि | ३|२|१५||
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मरुत्पर्वणस्तः |७|२|१५|| मर्तादिभ्यो यः | ७|२|१५९|| मलादीमसश्च |७|२|१४|| मव्यविश्रवि न |४|१|१०९||
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मव्यस्याः | ४|२|११३॥ मस्जेः सः |४|४|११०॥ महतः - डाः | ३|२|६८|| महत्सर्वादिकणू |७|१|४२|| महाकुलाद्वाञीनी | ६ | ११९९ || महाराजप्रो-कण् ।६।२।११०|| महाराजादिकण् |६|३|२०५|| महेन्द्राद्वा |६|२|१०६|| मांसस्यानड्-वा ।३।२।१४१|| माङयद्यतनी |५|४|३९||
माणवः कुत्सायाम् |६|१|९५||
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