Book Title: Hemchandrashabdanushasanam
Author(s): Hemchandracharya, Jambuvijay
Publisher: Hemchandracharya Jain Gyanmandir Patan

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Page 406
________________ १३४ श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनसप्ताध्यायीसूत्राणामकारायनुक्रमः । नपुंसकस्य शिः | १ | ४|५५ || नपुंसकाद् वा | ७|३|८९|| न पुंवन्निषेधे | ३ |२| ७१ ॥ न प्राग्जितीये स्वरे | ६ | १|१३५|| न प्रादिरप्रत्ययः | ३|३|४|| न बदनं संयोगादिः | १|१|५|| नमस्पुरसो-सः |२|३|१|| नमोवरिवश्चित्रङो-र्ये | ३|४|३७|| न यि तद्धिते | २|१|६५।। न राजन्य-के | २|४|९४|| न राजाचार्य - ष्ण: |७|१|३६|| न रात् स्वरे | १|३|३७|| रक मामिका | २|४|११२|| नरे | ३|२|८०|| न वञ्चेर्गतौ |४|१|११३॥ नवभ्यः - वा | १|४|१६|| न वमन्तसंयोगात् | २|१|१११ ॥ नवयज्ञादयोऽन्ते |६|४|७३ || न वयो यू |४|१| ७३ ॥ नवा क्वणयमहसस्वनः | ५ |३|४८ || नवाऽखित्कृद-त्रेः | ३|२|११७|| नवा गुणः - रित् | ७|४|८६।। नवाणः | ६ |१| १४२|| नवादीन-स्य |७|२|१६०॥ नवाद्यानि शतृ-पदम् | ३ | ३|१९|| नवापः | २|४|१०६ ॥ Jain Education International नवा परोक्षायाम् |४|४|५|| नवा भावारम्भे | ४|४|७२|| नवा रोगात | ६ | ३ |८२|| नवा शोणादेः | २|४|३१|| नवा सुर्यैः काले | २|२|९६|| नवा स्वरे |२| ३ | १०२।। न विंशत्यादि-न्तः | ३|१|६९|| न वृद्धिश्वा - पे | ४ | ३ |११॥ न वृद्भयः |४|४|५५|| नवैकस्वराणाम् |३|२|६६। नशः शः | २|३|७८ || न शसदद- नः | ४|१|३०|| नशात् | १|३|६२ || न शिति |४| २|२|| नशेर्नेश् वाङि |४|३|१०२|| नशो धुटि | ४|४|१०९ || शो वा | २|१|७० ॥ न श्विजागृशस्-तः ।४।३।४९|| न संधिः | १|३|५२॥ न संधिङीय स्कूलुकि | ७|४|१११ || न सप्तमी द्वादि० | ३|१|१६५|| न सर्वादिः | १|४|१२|| नसस्य |२|३|६५|| न सामिवचने | ७ | ३|५७|| न स्तं - र्थे | १|१|२३|| नस्नासिका-द्रो | ३|२|९९|| For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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