Book Title: Gyanpanchami
Author(s): Manek Bahen
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 6
________________ ते सर्व संग्रह आ बुकमा दाखल कर्यो. अने प्रारंभमां ते तप करवानो विधि अने अंतमा ते तपना प्रकार तथा उजमणानो विधि सविस्तर दाखल करवामां आव्यो. आ रीते आ बुक तैयार करवामां आवी छे. ज्ञान पंचमी सपर्नु आराधन करनार वरदत्त ने गुणमंजरीनी कथानु भाषांतर आ बुकमा आपवानी धारणा हती, परंतु ज्ञानपंचमीना मोटा स्तवना ते कथा आवी जती होवायी पुनरावर्तन न थवा माटे ते दाखल करवामां आवेल नथी. ___ आ बुक कद धार्या करतां मोडं थयुं छे, तेमज विलंब पण वधारे थयो छे; परंतु एक उपयोगी संग्रह तैयार थयेलो होवाथी ते ज्ञान पंचमी तप, आराधन करनारने अवश्य उपयोगी थइ पडशे एम खात्री थवाथी प्रसिद्ध कर्त्ताने तेमज तेमा उदार दीलथी द्रव्यनो व्यय करनारने संतोष प्राप्त थाय छे. आ बुक ज्ञानपंचमी तप करनारा भाइओ तथा बहेनोने शेठ जमनामाइ भगुभाइना पत्नी तरफथी भेट दाखल आपवा माटेज छपाववामां आवी छे. तेथी आ ज्ञानदानना पुन्यना भागी तेओ थयाछे, एटटुंज नहीं पण बुक वांचवाथी अनेक भव्य जीवो ए तप करवा उजमाळ यशे तेमा विपिशुद्ध ए तपनुं आराधन करशे एना पण ए पुन्यशाळी कारणिक थशे. आटखें जणावी आ टुंकी प्रस्तावना समाप्त करवामां आवे छे. . इत्यलम् विस्तरेण. भाद्रपद शुदि ५. ) श्री जैन धर्म प्रसारक सभा. सं. १९६१ नावनगर.

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