Book Title: Gurjar Jain Kavio ki Hindi Sahitya ko Den
Author(s): Hariprasad G Shastri
Publisher: Jawahar Pustakalaya Mathura

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Page 308
________________ ३०६ आलोचना-खंड जयवंतसूरि : 'स्थूलिभद्र प्रेमविलास फागु'४ धमाल, होरी : धमाल और होरी भी इसी प्रसंग से संबंधित रचनाएं हैं। फागु और धमाल के छन्द एवं रागिनी में संभवतः अन्तर हो सकता है पर ये दोनों नाम होली के आस पास गाई जाने वाली गेय रचनाओं के लिए प्रयुक्त हुए हैं। डफ और चंगों पर गाए जाने वाले भजनों की संज्ञा 'होरी' है। धमाल संजक रचनाएं १६वीं, १७वीं शती से मिलने लगती है। दिगम्बर कवियों की रचनाओं में अपभ्रंश प्रयोग 'ढमाल' मिलता है। कहीं कहीं धमाल और फागु संज्ञा एक ही रचना के लिए भी प्रयुक्त हुई है। जैसे-मालदेव के स्थूलिभद्र धमाल' के लिए कहीं 'स्थूलिभद्र फाग' भी लिखा गया है। 'धमाल' काव्य छोटे और बड़े-दोनों प्रकार के प्राप्त होते हैं। 'होरी' अत्यल्प हैं । यगोविजय जी विरचित एक 'होरी गीत'२ अवश्य देखने में आया है । 'होरी' गीत १९वीं एवं २०वीं शती में अधिक मिलते है। बम्बई के जैन पुस्तक प्रकाशक 'भीमसी माणेक' ने होरी संजक पदों एवं गीतों का एक संग्रह प्रकाशित किया है। समयसुन्दर तथा जिनहर्प प्रणीत, नेमिनाथ और स्थूलीभद्र से संबंधित मुक्तक गीतों में कुछ गीत 'होली गीत' की ही कोटि में गिने जा सकते है । नन्ददास, गोविन्ददास आदि अष्ट छाप के कवियों ने होली के पदों की रचना 'धमार' नाम से की है। लोकसाहित्य के अन्तर्गत भी 'धमाल' और 'होरी' गीतों का बड़ा महत्व है । आलोच्य युगीत जैन गूर्जर कवियों की 'धमाल' रचनाएं इस प्रकार है अभयचन्द : वासुपूज्यनी धमाल मालदेव : राजुल-नेमिनाथ धमाल कनक सोम : आषाढ भूती धमाल, तथा आर्द्र कुमार धमाल३ धर्मवर्द्धन : वसन्त धमाल४ मालदेव की 'स्थूलिभद्र धमाल' का उल्लेख फागु के अन्तर्गत किया जा चुका है। १. अभय जैन ग्रंथालय, बीकानेर । २. गूर्जर साहित्य संग्रह, प्रथम माग, यशोविजयजी, पृ० १७७ । ३. ४. इनकी मूल प्रतियां-अभय जैन ग्रंथालय. बीकानेर में सुरक्षित हैं ।

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