Book Title: Gurjar Jain Kavio ki Hindi Sahitya ko Den
Author(s): Hariprasad G Shastri
Publisher: Jawahar Pustakalaya Mathura

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Page 317
________________ जैन गूर्जर कवियों की हिन्दी कविता अवधि आठ दिवसनी अपनी, हियद विमासी जीज्यो । समयसुन्दर कहइ समझी लेज्यो, पणि ते सरखा मत होज्यो ।।४॥"१ .जिन पदों का अर्थ गूढ़ हो उन्हें "गूढा" कहते हैं। ऐसे गूढागीत भी समयसुन्दर ने पर्याप्त लिखे हैं ।२ ___समस्या, पादपूर्ति, चित्रकाव्य आदि की प्राचीन परम्परा का निर्वाह भी जैन गूर्जर कवियों ने किया है । काव्य विनोद के यह सुन्दर प्रकार हैं। समस्यापूर्ति के लिए प्रसंगोद्भावना करनी पड़ती है। इसमें प्रखर कल्पनाशक्ति की आवश्यकता होती है । कवि धर्मवर्द्धन तथा समयसुन्दर ने समस्या, पादपूर्ति, चित्रकाव्य आदि काव्यरूपों के सफल प्रयोग किए हैं। . __ कवि समयसुन्दर रचित कुछ "कुलक" रचनाएं भी मिलती है। ऐसी रचनाओं में किसी शास्त्रीय विषय की आवश्यक बातें सारांशतः वर्णित की जाती हैं अथवा किसी व्यक्ति का संक्षिप्त परिचय दिया जाता है । श्री नाहटाजी ने इस प्रकार की रचनाओं की एक पूरी सूची तैयार की है ।३ समयसुन्दर रचित 'श्रावक वारह व्रत कुलकम्' तथा "श्रावक दिनकृत्य कुलकम्” इस दृष्टि से उल्लेखनीय रचनाएं है।४ - - - १. समयसुन्दर कृत कुसुमांजलि, संपा० अगरचन्द नाहटा, पृ० ४६१ । २. वही, पृ० १२८, १३० । ३. जैन धर्म प्रकाश, वर्ष, ६४, अंक ८, ११, १२ । ४. समयसुन्दर कृत कुसुमांजलि, संपा० अगरचन्द नाहटा, पृ० ४६५-६८ । - - - -- - -..............

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