Book Title: Gujarati Bhashani Utkranti Author(s): Bechardas Doshi Publisher: Mumbai UniversityPage 15
________________ (१४) १८२ समय भविष्य , कंडिका विषय पृष्ठ कंडिका विषय पृष्ठ जैनग्रंथ 'वसुदेवहिंडि' भाषानी हेमचंद्रे आपेली वगेरेमा अपभ्रंश पद्य समझुती अने गद्य १७१ हेमचंद्रना शब्दोमां ते उक्त जैन ग्रंथोनो समय १७२ लोकभाषानो नमूनो १८० ललितविस्तरनो समय १७३ हेमचंद्रनां पद्योनी भाषा बोलचालनु अपभ्रंश , अने वर्तमान गुजराती साहित्यिक अपभ्रंशनो भाषा कुवलयमालामां आवेलो अपभ्रंशनुं साहित्य १७४ गुज्जरो लाटो अने मालअवहट्ट अने अपभ्रंश वोनी भाषानो उल्लेख १८३ अपभ्रंशनुं वैविध्य अपभ्रंश अने प्रांतिक राजशेखर अने मार्कंडेये। भाषाओ १८४ जणावेला अपभ्रंशना अंतिम अपभ्रंश के भेदप्रभेदो १७५ ऊगती गुजराती १८५ प्राकृत-संस्कृत अने 'देशीराग' अने 'मेळो' अपभ्रंश ए त्रणे बहेनोमां अर्थनो 'गुर्जरी' शब्द १८६ परस्पर सद्भाव १७५ ७५ गुज्जरीनी वाणीनो नमूनो १८७ गुजरातीनी माता उक्त १७८ ७६ । हेमचंद्रनुं ऊगती गुजअपभ्रंश. व्यापक प्राकृत रातीनुं व्याकरण १८८ मोटी माशी अने संस्कृत स्वरपरिवर्तन नानी माशी लघु उच्चारण १८९ गुजरातीनी मातामही , व्यंजनपरिवर्तन १८९ वैदिक युगर्नु आदिम 'र'नो लोप अने वधारो १९१ प्राकृत १७८ केटलाक शब्दो गुजरातीमां मातामहीनो , केटलाक निपातो १९४ वारसो अनुकरण शब्दो आमुखनो उपसंहार १७९ पादपूरको ७४ हेमचंद्रना समयनी लोक अव्ययो १९८ १९७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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